जैन ध्वज के रंगों का क्या महत्त्व है?

150 150 admin
शंका

जैन ध्वज के रंगों का क्या महत्त्व है?

समाधान

जैन ध्वजा के विषय में एक उल्लेख आता है- पंच वर्णीय ध्वजा! पंचवर्णीय ध्वजा पंचपरमेष्ठी की प्रतीक है, जिसमें सबसे पहले अरिहंत का सफ़ेद रंग जिसे बीच में रख देते हैं। सिद्धों के लिए लाल रंग जिसे सबसे ऊपर रख देते हैं। आचार्यों के लिए पीला जिसे दूसरे नम्बर पर रख देते हैं। उपाध्यायों के लिए नीला और साधु के लिए काला! कहीं-कहीं लोग हरा भी कर देते हैं, मूलतः वह काला ही रंग है जो शस्यश्यामलाम् धरती का प्रतीक है। एक कारिका आती है, 

“शशी धवला अरिहंता, सिद्धारूणा…………”, अरिहंत भगवान का वर्ण चन्द्रमा के समान धवल, सिद्धों का उगते सूर्य की तरह लाल, आचार्यों का पीला, उपाध्याय परमेष्ठी का मरकत मणि की तरह नीला या आसमान की तरह नीला और साधु का काला रंग और कहीं-कहीं शस्य हरा भी लोग मान लेते हैं। इस प्रकार से पंच परमेष्ठी के प्रतीक स्वरूप बीच में स्वास्तिक युक्त जैन ध्वजा की बात आयी। और कई जगह पर ध्वजा को केसरिया रंग का बताया गया है। ये दोनों परम्पराओं में है। हमारे यहाँ विभिन्न वर्णीय ध्वजाओं का भी उल्लेख मिलता है।

Share

Leave a Reply