मंत्र की मात्रा और अक्षरों से क्या तात्पर्य सिद्ध होता है?

150 150 admin
शंका

मंत्र की मात्रा और अक्षरों से क्या तात्पर्य सिद्ध होता है?

समाधान

मन्त्र मन्त्र होता है। मन्त्र व्याकरण से नहीं बनाया जाता। मन्त्र का अपना एक अलग व्याकरण होता है। मन्त्र के भीतर छिपी हुई शक्तियों का विस्फोट ही मन्त्र का वास्तविक व्याकरण होता है। णमोकार महामंत्र आर्या छंद में है लेकिन इस मन्त्र की रचना छंद के लिए नहीं की गई। मैं मानता हूँ, यह मन्त्र ही खुद अपने आप में छंद बन गया। अब रहा सवाल इसकी ५८ मात्रा के गिनने की तो यह बाद की विवेचनाएँ है, इसकी मात्रा और वर्णों को गिनने की बजाय इसके भीतर के परिणाम को जानने की कोशिश करें। यह हमारे जीवन में गुणात्मक और मात्रात्मक दोनों प्रकार का लाभ देगा। 

आपने पूछा है कि धर्म बचाओ आंदोलन के लिए सबने प्रतिज्ञा ली थी कि जब तक की सल्लेखना सन्थारा पर प्रतिबन्ध नहीं हटेगा तब तक हमारी किसी प्रिय वस्तु का त्याग रहेगा। आज की तारीख में आप पर कोई प्रतिबन्ध नहीं है, इसलिए आप त्याग करें ऐसा कोई अनिवार्य नहीं। आप का नियम पूरा हो गया और रहा सवाल सुप्रीम कोर्ट से अन्तिम राहत मिलने तक हम क्या करें? अन्तिम राहत पाने के लिए अगर आपकी इच्छा है, तो आप अपने नियम को आगे बढ़ा सकते हैं, लेकिन आपका नियम केवल तब तक के लिए था जब तक यह उपसर्ग हम पर बना है। आप प्रिय वस्तु के त्याग के बन्धन से मुक्त तो हो गए, पर मैं चाहूँगा कि कम से कम णमोकार मन्त्र की एक माला तो हर व्यक्ति को तब तक फेरते रहना चाहिए जब तक सुप्रीम कोर्ट अपने अन्तिम निर्णय तक न पहुँचे।

Share

Leave a Reply