बीजाक्षर का क्या महत्त्व है?

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शंका

जैन दर्शन के अनुसार बीजाक्षर का क्या महत्त्व है और वे कितने होते हैं?

वैभव देवल, लंदन

समाधान

बीजाक्षर अनेक हैं और बीजाक्षरों का महत्त्व है। मन्त्र के प्रयोग में बीजाक्षरों का प्रयोग हमारे यहाँ बहुत प्राचीन काल से किया जाता रहा है जैसे ऊँ, ह्रीं, श्रीं, क्लीं, ब्लूं … ये जितने भी बीजाक्षर हैं प्राचीन काल से चले आ रहे है। ऊँ, ह्रीं, श्रीं …तो बहुत प्राचीन बीजाक्षर हैं, अन्य बीजाक्षरों का भी कम से कम हजार-ग्यारह सौ वर्ष प्राचीन उल्लेख देखने को स्पष्ट रूप से मिलता है। इसी तरह बीज बुद्धि हमारे गणधरों की एक रिद्धि होती है। उसमें एक बीज पद के द्वारा समस्त श्रुत के अर्थ को जानने की सामर्थ्य विकसित होती है। बीजाक्षर का मतलब है- ऐसा अक्षर जिसमें बीज की भाँति अनन्त शक्ति समाहित हो! जैसे एक छोटे से बीज में विशाल वट का वृक्ष समाहित होता है, वैसे ही जिस छोटे से अक्षर में परम चैतन्य शक्ति का प्रस्फुटन होता है उसे बीजाक्षर कहते है।

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