अष्टानिका/अट्ठाई पर्व का महत्त्व

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शंका

अष्टानिका/अट्ठाई पर्व का महत्त्व

समाधान

अष्ठानिका पर्व, निश्चित रूप से बड़ा महान पर्व है | महान इसलिए है कि यह विशुद्ध आराधना का पर्व देवता लोग भी अपने स्वर्ग को खाली छोड़कर भगवान की आराधना करने के लिए नंदीश्वर दीप जाते हैं और चौबीस घंटे, आठ दिन तक भगवान की भक्ति का अनुष्ठान करते हैं तो मनुष्यों के लिए भी कहते कि 

“हमें सकती सो नाहि इहाँ करि थापना,

नंदीश्वर पूजन  जिनगृह प्रतिमा हित है आपना”

तो यह नंदीश्वर की पूजा विशिष्ट आराधना की पूजा है इसलिए इसकी बड़ी महिमा है शास्त्रों में अष्ठानिक पूजा को एक महान स्थान दिया गया दिन में आठ दिन तक लगातार पूजन किया जाता है चाहे नंदीश्वर की पूजा करें या सिद्धचक्र की पूजा करें | हम लोग  कथाओं में पढ़ते हैं कि अष्ठानिक की पूजा के माध्यम से मैना सुंदरी ने अपने कष्ट का निवारण किया, अपने नहीं अपने पति के कष्ट का निवारण किया | यह कथायें हैं निश्चित ही आठ दिन की ऐसी विशिष्ट आराधना है जिसमें व्यक्ति अगर अपने जीवन में संयम साधना धारण करे तो उसके जीवन में बहुत बड़े चमत्कार घटित हो सकते हैं | तो यह तीनों अष्ठानिक में आठ-आठ दिन के उपवास भी करते हैं लोग, कुछ लोग अंतराल से करते हैं, कुछ लोग को कोमली अठाई करते हैं, कुछ लोग एकासन करके करते हैं यह महान तप है | इसकी विधि हमारे शास्त्रों में बताई है जितने भी उपवास है पुराने उन सारे उपवासों में अष्ठानिक के उपवास को भी एक महत्वपूर्ण स्थान दिया है| मैं यह मानता हूँ जो अष्ठानिक के व्रत करता है वह अष्टम वसुधा में जल्दी पहुँच जाता है| ऐसा भाव रखना चाहिए और अपने भाव में भी शुद्धि रखते हुए इस व्रत का पालन करना चाहिए |

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2 comments
  • शीला जैन December 2, 2023 at 4:27 pm

    Ji mera prashn hai- athai parv se kiska prarambh parivartan hota hai ?

    • admin May 22, 2024 at 2:22 pm

      जय जिनेन्द्र,
      कृपया आप अपनी शंका महाराज श्री के समक्ष साक्षात रखने का प्रयास करें तो उत्तम रहेगा।

      सेवा में,
      प्रामाणिक समूह

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