पूजा में देवगण को बुलाने का क्या औचित्य है?

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शंका

क्या विसर्जन के अन्त में ऐसा बोलना चाहिए?
आये जो-जो देवगण पूजे भक्ति प्रमाण,
ते सब जावहुं कृपा कर अपने-अपने स्थान

समाधान

ये जो पाठ है, जो लोग विधान आदि करते हैं, उसके लिए प्रयुक्त है। उस विधान में बहुत सारे इन्द्र बनाकर पूजा की जाती है, इन्द्र अकेले पूजा नहीं करता, अपनी पूजा में सम्मिलित होने के लिए देव परिवार को बुलाता है। 

आप किसी कार्यक्रम में हैं, आपने उस समय कार्यक्रम में लोगों को बुलाया हो और जब आपका काम हो गया तो अब आखिरी में उनको धन्यवाद ज्ञापन देंगे या नहीं? उनको भेजेंगे या नहीं? इस विधान में बहुत सारे देवी-देवताओं को भगवान की पूजा में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है। अब जब पूजा पूर्ण होगी तो उनको कहा जायेगा कि ‘आप जा सकते हैं। मेरे निमंत्रण पर जो भी देवता लोग भगवान की पूजा करने के लिए यहाँ आये हैं। उन सबने अपनी-अपनी भक्ति के अनुरूप भगवान की पूजा की। अब मेरी पूजा सम्पन्न हो गई, उनको बहुत-बहुत धन्यवाद। वे अपने-अपने स्थान पर जायें।’

 ये नित्य के नियम में बदलकर मत बोलो। किसी की रचना को बदलने का आपको अधिकार नहीं है या तो ये लाईन ही मत बोलो तो वही बोलो जैसा हमेशा बोलते हैं।

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