पापानुबन्धी पुण्य और पुण्यानुबन्धी पुण्य का बन्ध और उनका फ़ल!

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शंका

पापानुबन्धी पुण्य और पुण्यानुबन्धी पुण्य का बन्ध और उनका फ़ल!

समाधान

पापानुबन्धी पुण्य वह पुण्य है जो अपने उदय में व्यक्ति की बुद्धि को विकृत कर भोगों में आसक्त कराता है। पापानुबन्धी पुण्य, वह पुण्य जो अपने उदय में व्यक्ति की बुद्धि को भ्रष्ट करे, विकृत करे और भोगों में, पाप में आसक्त कर दे, जिससे वह पुण्य को भोगते समय पाप का बन्ध करे और दुर्गति का पात्र बने। जैसे-रावण और कंस जैसे लोग पापानुबन्धी पुण्य के धनी थे, बिन लादेन और सद्दाम हुसैन जैसे लोग पापानुबन्धी पुण्य के धनी थे। उनके पास पुण्य था, जिसने प्रभाव दिया लेकिन उनकी बुद्धि उल्टी चली और उस उल्टी बुद्धि के कारण उनकी दुर्गति हुई। उनका अन्त बड़ा बुरा हुआ और वह भविष्य में आगे चलकर दुर्गति के पात्र हुए, आज नरकों में सड़ रहे हैं। 

पुण्यानुबन्धी पुण्य वह पुण्य है जो अपने उदय में मनुष्य की बुद्धि को निर्मल बनाए और उसे सत्कर्म में लगाए, अनासक्त बनाए, उदार बनाए। जिस पुण्य के उदय में व्यक्ति अपने उदारता के बल पर नये पुण्य का सृजन करे, उसका नाम पुण्यानुबन्धी पुण्य है। 

यह पापानुबन्धी पुण्य कैसे बन्धता है और पुण्यानुबन्धी पुण्य कैसे बन्धता है? भौतिक अपेक्षाओं से भर कर के जब कोई भी व्यक्ति धर्म अनुष्ठान करता है, तो उसके साथ बनने वाला पुण्य पापानुबन्धी पुण्य बन जाता है, जो उसे संसार में अटका देता है, पुण्य तो मिलता है, पर वह उसे गलत direction (दिशा) में ले जाएगा। और आत्म कल्याण की उदात्त भावना से भर कर के जब कोई धर्म अनुष्ठान किया जाता है, तो उसके द्वारा बांधे जाने वाला पुण्य, पुण्यानुबन्धी पुण्य होता है जो परम्परा से मुक्ति का कारण होता है।

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