जीवन में सद्विचारों का क्या महत्त्व है?
हमारे मन में हर समय सद्विचार क्यों नहीं आते? सद्विचारों का यही महत्त्व है कि सद्विचार से विकार शान्त हो जाते हैं। मनुष्य के जैसे विचार होते हैं, वैसी उसकी प्रवृत्तियाँ बनती हैं; और जैसी प्रवृत्तियाँ बनती हैं, वैसा ही हमारे जीवन का निर्माण होता है।
अच्छा जीवन जीने के लिए हमारे विचार अच्छे होने चाहिए। जानो, विचार का महत्त्व क्या है? एक कुम्हार मिट्टी से चिलम बना रहा था, अचानक उसका मूड बदला और उसने उसे कलश का आकार देना शुरू कर दिया। जैसे ही मिट्टी का आकार बदलने लगा तो पास बैठी कुम्हारिन ने पूछा कि ‘मिट्टी का आकार क्यों बदल गया?’ कुम्हार ने कहा ‘बस यूं ही, मेरा विचार बदल गया।’ तभी माटी ने तपाक से कहा ‘तुम्हारा विचार क्या बदला, मेरा तो संसार बदल गया!’ विचार से संसार है।
मनुष्य अगर महान बना है, तो अपने विचारों के कारण और यदि किसी का पतन हुआ है, तो वो भी अपने विचारों के कारण। विचार से ही उत्कर्ष है और विचार से ही पतन। जैसे तुम्हारे भाव, जैसे तुम्हारे विचार, वैसा तुम्हारा सारा जीवन। अच्छे विचार तुम्हारी समुन्नति के आधार होंगे और बुरे विचार वाला व्यक्ति कभी अपना उत्थान नहीं कर सकता।
रहा सवाल अच्छे विचार हमारे हमेशा बने क्यों नहीं रहते? हमारे संस्कार ही उल्टे पड़े हुये है। संस्कार जब तक उल्टे होंगे तब तक अच्छे विचार नहीं आ सकते। हमारा धर्म, हमें अच्छे विचारों की प्रेरणा देता है। जितना बने सत्संग करें, स्वाध्याय करें, अच्छे सानिध्य में रहें आपके विचारों में निर्मलता आएगी और आपके विचारों की यह निर्मलता आपके जीवन की धारा को परिवर्तित कर डालेगी।
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