जीवन में संस्कृति, सभ्यता और धर्म क्या महत्त्व है?

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शंका

सभ्यता, संस्कृति और धर्म से जीवन की सार्थकता है इसको जीवंत बनाने के लिए क्या करना चाहिए?

समाधान

सबसे पहले समझों कि ये तीनों हैं क्या? मैं बड़े सरल शब्दों में व्याख्या करता हूँ। तीन शब्द हैं – प्रकृति, विकृति और संस्कृति। प्रकृति- गाय से दूध को दोहना प्रकृति है, दूध का फट जाना विकृति है और दूध से घी बना लेना हमारी संस्कृति है। 

संस्कृति है दूध से घी बनाना। अपने जीवन को उसके चरम रूप तक पहुँचाना हमारी संस्कृति है। सभ्यता है -संस्कृति के अनुरूप जीवन जीना। सभ्यता कहती है- दूध को अगर प्रकृति से तुमने पाया है, तो उसे असमय में विकृत मत होने दो, उसे सलामत रखो, उसे सम्भाल कर रखो। ऐसा न हो कि दूध में कोई अशुद्ध तत्त्व चला जाए, दूध विकृत हो जाए और वो फूड पाइजन का कारण बन जाए, उसे बचा करके रखना। जीवन के तत्त्व को निखारने का नाम है संस्कृति; और जीवन के तत्त्व में ऐसी बिगाड़ न आ पाए, ऐसी मर्यादा को सुनिश्चित करने का नाम है सभ्यता! इन दोनों से जुड़ करके अपने जीवन का चरमोत्कर्ष करने के लिए सदाचरण करना, इसका नाम है धर्म।

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