वर्तमान परिपेक्ष में भट्टारकों का क्या महत्त्व है?

150 150 admin
शंका

वर्तमान परिपेक्ष में भट्टारकों का क्या महत्त्व है?

समाधान

जबलपुर की बात है, 1988 में गुरुदेव के सानिध्य में भारतवर्षीय तीर्थक्षेत्र कमेटी और दिगम्बर जैन विद्वत परिषद का एक संयुक्त अधिवेशन था, साहू अशोक जी के नेतृत्व में। वहाँ श्रवणबेलगोला के भट्टारक चारूकीर्ति जी भी पधारे थे। आचार्य महाराज ने अपने उद्बोधन में एक बहुत अच्छी बात कही कि “जब कीचक का वध करना था भीम को थोड़ी देर के लिए साड़ी पहननी पड़ी थी।” आचार्य श्री जी ने कहा “जिस समय भट्टारक युग की शुरुआत हुई वह समय की माँग थी। कीचक के सामने कीचक के वध के लिए भीम का साड़ी पहनना ठीक है लेकिन कीचक के वध के बाद तो अब उसे लँगोट घुमा करके मैदान में ताल ठोकने की जरूरत है, अब भीम साड़ी में शोभा नहीं देता।” बस मेरी बात को आप समझ लीजिए।

Share

Leave a Reply