सत्याणुव्रत, ब्रह्मचर्याणुव्रत, उत्तम सत्य धर्म, उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म में क्या अंतर है?

150 150 admin
शंका

श्रावक के पाँच अणुव्रत में सत्य और ब्रह्मचर्य आता है और दस धर्मों में भी सत्य और ब्रह्मचर्य व्रत है। दो अलग-अलग जगह सत्य और ब्रह्मचर्य क्यों आया है जबकि विषय वस्तु समान है?

समाधान

सत्य, सत्याणुव्रत और सत्य धर्म, ब्रह्मचर्याणु व्रत, ब्रह्मचर्य महाव्रत और ब्रह्मचर्य व्रत, यह अलग-अलग चीजें हैं, इनको समझिये। सत्याणुव्रत का मतलब है स्थूल झूठ नहीं बोलना; सत्य-व्रत का मतलब है झूठ नहीं बोलना; और सत्यधर्म बहुत व्यापक है- झूठा व्यवहार नहीं करना, असत्य व्यवहार नहीं करना, सत्व्यवहार करना सत्य धर्म है। सत्य धर्म का सम्बन्ध केवल बोलने तक सीमित नहीं, सत्य धर्म का सम्बन्ध हमारे वाणी, व्यवहार और भावना तीनों से सम्बन्धित है, तो सत्य धर्म बहुत ऊँची चीज है। असत्य मात्र को न बोलना सत्य महाव्रत है और स्थूल झूठ को न बोलना सत्य अणुव्रत है। 

इसी प्रकार अपनी स्त्री को छोड़ कर संसार की सभी स्त्रियों के प्रति पवित्र दृष्टि रखना ब्रह्मचर्य अणुव्रत है। स्त्री मार्ग मात्र के संसर्ग से मुक्त होकर शील का पालन करना ब्रह्मचर्य महाव्रत कहलाता है तथा महाव्रत की साधना के बाद ब्रह्म यानि आत्मोपलब्धि के लिए आध्यात्मिक दृष्टि से संपन्न होकर शीलमय आचरण करना ब्रह्मचर्य धर्म कहलाता है।

Share

Leave a Reply