पुण्यानुबन्धी पुण्य-पाप और पापानुबन्धी पुण्य-पाप में क्या अंतर हैं?

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शंका

पुण्यानुबन्धी पुण्य-पाप और पापानुबन्धी पुण्य-पाप में क्या अंतर हैं?

समाधान

पुण्यानुबंधी पुण्य वह पुण्य है जिसके उदय में व्यक्ति अपने मन की बुद्धि को निर्मल बनाकर, उसे नए पुण्य के उपार्जन में लगाए। ऐसे पुण्य को पुण्यानुबंधी पुण्य कहते हैं। इसके विपरीत पापानुबन्धी पुण्य है, जिसके उदय में व्यक्ति अपनी बुद्धि को विकृत कर उसे भोगासर करता है और दुर्गति का पात्र बनाता है। पापानुबन्धी पुण्य ऐसा पुण्य है जिसके उदय में व्यक्ति पुण्य कमाता है और पापानुबन्धी पुण्य ऐसा पुण्य है जिसमें व्यक्ति पाप कमाता है। 

आप ने पूछा पुण्यानुबन्धी पाप; कुछ पाप की क्रियाएं ऐसी होती हैं जो धर्म संस्कृति की रक्षा के लिए करते हैं। वे क्रियाएं पाप की हैं, पर वे बाँधती पुण्य को हैं। शूकर शेर से लड़ा था, मुनिराज की रक्षा के लिए और उसने पाप किया पर पुण्य बाँधा। इसको बोलते हैं पुण्यानुबन्धी पाप! ऐसा पाप जो केवल पाप के लिए किया जाता है उसको बोलते हैं पापानुबन्धी पाप!

जो पाप धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए निमित्त अल्प अंश में होता है, वह पुण्य बन्ध का कारण होता है और जो पाप केवल पाप के लिए होता है वह जीवन के सन्ताप का कारण बनता है उसे पापानुबन्धी पाप कहते हैं।

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