दान और त्याग में क्या अंतर है?

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शंका

दान और त्याग में क्या अन्तर है? एक गृहस्थ के जीवन में इसका कितना महत्त्व है?

समाधान

दान अंश का होता है, और त्याग सर्वस्व का किया जाता है। त्याग, दान से ऊँचा है क्योंकि वह सर्वस्व का त्याग है; दान अंश का है। गृहस्थ के लिए दान का विधान है और त्याग करने पर संन्यास प्रकट होता है। भारत में दान की, दानी की प्रशंसा होती है, और त्यागी की पूजा। दान आदान के बाद है और त्याग में न फिर कुछ ग्रहण होता है न आदान, सब कुछ छोड़ दिया जाता है। विनोबा भावे की यह पंक्तियाँ बहुत सार्थक है कि दान शरीर में घाव को ठीक करने के लिए ऊपर से लगाया जाने वाला मरहम है और त्याग अन्दर पीने वाला काढ़ा जो भीतर की रक्त शुद्धि करता है।

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