सामूहिक णमोकार मंत्र जाप-अनुष्ठान का क्या लाभ है और कितना पाप कटता है?

150 150 admin
शंका

सामूहिक णमोकार मंत्र जाप-अनुष्ठान का क्या लाभ है और कितना पाप कटता है?

समाधान

णमोकार महामंत्र हमारी संस्कृति का मूल मंत्र है। णमोकार मंत्र की महिमा अचिन्त्य है। सर्व पापों की समाप्ति में णमोकार मंत्र से अच्छा कोई अस्त्र नहीं है। आचार्य वीर सेन महाराज ने णमोकार महामंत्र के महत्व को निरूपित करते हुये लिखा है कि “अरहंत भगवान के प्रति किया जाने वाला नमस्कार मंत्र यह णमोकार मंत्र, तात्कालिक पुण्य के बन्ध से असंख्यात गुना पाप के क्षय का कारण है।” यह एक ऐसा मंत्र है जो पुण्य को देता है और पाप को मिटाता है। जीवन में आने वाले सभी अशुभ, अमंगल, अनिष्ट के निवारण में णमोकार महामंत्र हमारे लिए अमोघ अस्त्र है। हम लोग बोलते हैं, 

ऐसो पंच णमो यारो सव्व पावप्पणासणो।

मंगलाणं च सव्वेसिं पढमं होई मंगलं। 

यह ऐसा णमोकार महामंत्र है जो सब पापों को विनष्ट करने वाला है और लोक के सर्व मंगल में प्रथम मंगल है। मंगल उसे कहते हैं, जो मम यानी पाप को गलाये, जो हमारे जीवन में पाप को गलाये, पुण्य को बढ़ाए, जीवन को पवित्र बनाए, जीवन के अनिष्ट प्रसंगों का निवारण करे, उसका नाम मंगल है। तो ऐसे मंगल को प्रदान करने वाले महामंत्र का प्रत्येक व्यक्ति को नित्य स्मरण करना चाहिए। 

शास्त्रों में णमोकार महामंत्र की महिमा निरूपित करते हुए कहा गया कि, “णमोकार मंत्र के एक अक्षर के उच्चारण से ७ सागर का पाप कटता है।” एक अक्षर के उच्चारण से यानी णमो अरिहंताणं के केवल अ बोलने से ५० सागर का पाप कटता है। एक पद के उच्चारण से यानी केवल णमो अरिहंताणं में अरिहंताणं बोल दो, सिद्धाणं बोल दो, णमो आयरियाणं बोल दो, कोई भी एक पद बोलो, तो उससे ५० सागर का पाप कटता है और पूरा णमोकार महामंत्र को एक बार पढ़ लेने मात्र से ७०० सागर का पाप कटता है। कोई व्यक्तिश: जाप अनुष्ठान करता है उसका लाभ व्यक्तिश: मिलता है, लेकिन जब सामूहिक रूप से जाप अनुष्ठान होता है, तो वातावरण में सामूहिकता आती है, पॉजिटिव एनर्जी का प्रवाह बढ़ता है, हमारे मन में एकाग्रता और तन्मयता बढ़ती है। कर्म निर्जरा और पाप काटने के असंख्य द्वार खुल जाते हैं और वह हमारे जीवन के कल्याण का कारण बनता है। आप अकेले एकांत में कितने भी णमोकार मंत्र जपो, उसके प्रभाव में और सामूहिक रूप से जब णमोकार मंत्र जपते हैं, उसके प्रभाव में ज़मीन-आसमान का अन्तर होता है। क्योंकि जब आप अकेले पढ़ते हो तो पढ़ने वाले आप अकेले हैं और नेगेटिव एनर्जी देने वाले, नकारात्मक भाव से भरे रहने वाले लोग आपके इर्द-गिर्द भरे हैं पर एक साथ जब आप सामूहिक रूप से णमोकार महामन्त्र या किसी शुभ अनुष्ठान में बैठते हैं तो जितने लोग बैठते हैं सब के सब सकारात्मकता से भरे रहते हैं उनकी ऊर्जा से अभिभूत होने का आपको अवसर मिलता है और वह ऊर्जा आपके जीवन को ऊर्जावान बनाती है।

Share

Leave a Reply