तेजस शरीर क्या है?

150 150 admin
शंका

मुनि महाराज का शरीर तेजस है या नहीं, हमें ये कैसे पता चलेगा?

समाधान

हमारा जो शरीर है इस शरीर के साथ दो सूक्ष्म शरीर भी हैं। ये जो स्थूल शरीर दिखता है हम लोगों का, हम मनुष्यों का, पशु-पक्षियों का, इसको बोलते है औदारिक शरीर। इस शरीर के साथ दो सूक्ष्म शरीर भी हैं, उनमें एक तेजस शरीर कहलाता है और एक कार्मण शरीर कहलाता है, जो दिखाई नहीं पड़ते पर उसका अपना function (कार्य) है। कार्मण शरीर यानि हमारे संस्कारों का शरीर, जिससे हमारे शरीर जुड़ते हैं और जिसके कारण हमारे शरीर में शुभाशुभ भाव होते हैं। वो कर्मों के समूह से बना हुआ शरीर है। दूसरा तेजस शरीर- जो हमारे शरीर में टेम्प्रेचर (तापमान) होता है। हमारे शरीर में जो जठराग्नि है, ये सब क्या है? ये तेजस शरीर के लक्षण हैं। जैसे जब तक व्यक्ति जीवित रहता है उसके शरीर में टेम्प्रेचर (तापमान) रहता है और प्राण खत्म होते ही हमारा शरीर ठण्डा पड़ जाता है, इसका मतलब तेजस शरीर हमारी आत्मा से छूट गया, कार्मण शरीर हमें अगले जन्म में ले जाता है। तेजस शरीर तो सभी जीवों में होता है। 

ये तेजस शरीर जिसे दूसरे शब्दों में कहें तो इलेक्ट्रिकल बॉडी, सब जीवों को होता है, इसके दो रूप होते है- निशर्णात्मक और अनिशर्णात्मक! निशर्णात्मक यानि बाहर निकलने वाला और अनिशर्णात्मक यानि बाहर न निकलने वाला। जो निशर्णात्मक तेजस शरीर होता है वो हमारे शरीर से बाहर भी निकल सकता है। वो सब को नहीं होता है। तपोबल की विशेषता से किन्हीं-किन्हीं मुनिराज का होता है। किसी-किसी महाराज को ऐसा पावर आ जाता है जिसके कारण उनके शरीर से वो नया शरीर निकलकर अच्छा भी कर सकता है, बुरा भी कर सकता है। इसको शुभ तेजस और अशुभ तेजस बोलते हैं। शुभ तेजस जिन किन्हीं मुनिराज को होता है, उनके अन्दर बहुत करूणा की भावना होती है, मन दया से भीग उठता है, तो उनके दायें कंधे से निकलता है और बारह योजन के पूरे इलाके में शुभ, शांति, सद्भाव करके वापस लौटता है और मुनि के शरीर में समाहित हो जाता है। और अशुभ तेजस ऐसे ही किन्हीं मुनि को किसी निमित्त से गुस्सा आ जाए या महाक्रोध आ जाए तो उनके बायें कंधे से निकलता है भयानक आकृति वाला होता है। सिंदूर की तरह लाल होता है और १२ योजन तक के इलाके में रहने वाले अपने बैरी को भस्म कर डालता है जिसके निमित्त से क्रोध आया उसको भस्म कर देगा और ज़्यादा देर तक रूक जाए तो जिन मुनि महाराज के शरीर से निकला है उन्हें भी भस्म कर देगा और समाप्त होगा। 

अब आपने पूछा है कि इनको पता कैसे चलेगा कि इनको तेजस है या नहीं है? इसका आगम में कोई वर्णन नहीं मिलता और बुद्धि पूर्वक तेजस शरीर का प्रयोग होता है, ऐसा देखने में नहीं आया। तो ये जिनको होता है उन्हीं को होता है। दीपायन मुनि का उदाहरण आता है कि उनको तेजस शरीर था और उसी शरीर के कारण द्वारिका का विनाश हुआ था पर इसका आगम में ऐसा कोई वर्णन देखने में नहीं आया जिसके आधार पर ये कहा जा सके कि इनसे निकलने वाला तेजस है।

Share

Leave a Reply