सातिशय पुण्य क्या होता है?

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शंका

सातिशय पुण्य क्या होता है, यह किस कारण से होता है और इसका फल क्या है?

समाधान

सातिशय पुण्य वह पुण्य है जो परम्परा से मोक्ष का कारण बने; यानि जो पुण्य के बन्ध के साथ पाप की निर्जरा कराये, उसे सातिशय पुण्य कहते हैं। जो पुण्य अपने उदय में हमारी बुद्धि को निर्मल बनाकर धर्म में लगाये, उसका नाम सातिशय पुण्य है और इसके विरुद्ध निरातिशय पुण्य है। जो केवल पुण्य स्वरूप सम्पत्ति प्रदान करे, परन्तु जिसके साथ पाप का क्षय न हो, उसका नाम निरातिशय पुण्य है। जो पुण्य अपने उदय में हमारी बुद्धि को बिगाड़ कर भोगों में आसक्त कर दे उस पुण्य का नाम निरातिशय पुण्य है। 

निरातिशय पुण्य भवांतर में दुर्गति का कारण बनता है और सातिशय पुण्य भवांतर में मोक्ष का कारण बनता है। तो सम्यक् दर्शन के साथ जो पुण्य का अनुष्ठान किया जाता है, वो सब सातिशय पुण्य के बन्ध का कारण होता है और मिथ्या दृष्टियों का जो पुण्य अनुष्ठान होगा वो निरातिशय पुण्य के बन्ध का कारण होता है।

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