शिक्षा और संस्कार में क्या अधिक महत्त्वपूर्ण है?

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शंका

मम्मी कहती हैं कि ‘शिक्षा से ज़्यादा संस्कार जरूरी हैं।’ हमें अपनी लाइफ में किसको ज़्यादा importance (महत्त्व) देनी चाहिए? क्योंकि अगर हम शिक्षा से ज़्यादा संस्कारों को महत्त्व देंगे तो फिर हम इस युग में पीछे रह जाएँगे। कृपया मार्गदर्शन दीजिए।

समाधान

यह गलत सोच है, संस्कार का मतलब अशिक्षित बनना नहीं है। संस्कार का मतलब है, सही शिक्षा पाना। शिक्षा का मतलब केवल किताबी ज्ञान नहीं है। किताबी ज्ञान तो कोई भी पा सकता है लेकिन संस्कार युक्त शिक्षा, ऐसी शिक्षा है जो ज्ञान के साथ-साथ जीवन को भी पवित्र बनाए। आजकल लोग कैरेक्टर की उपेक्षा करते हैं, केवल कैरियर (career) बनाने की बात सोचते हैं। हमारी संस्कृति केवल कैरियर की बात नहीं करती, हमारी संस्कृति कैरियर से ज़्यादा चरित्र (character) की बात करती है। दुनिया के क्षेत्र में आगे बढ़ने वाले लोग अगर अपने चरित्र के क्षेत्र में पिछड़ जाते हैं, तो ये उनके जीवन की बहुत बड़ी हानि है, ऐसी हानि से बचना चाहिए। तुम पिछड़ जाओ कोई दिक्कत नहीं लेकिन अपने जीवन के क्षेत्र में मत पिछड़ो। एक बच्चे ने मुझसे कहा- ‘महाराज! मैं पूजन करता हूँ, अभिषेक करता हूँ। मेरे इस बार मार्क्स कम आए, तो मेरे घर के लोगों ने मुझसे कहना शुरू कर दिया कि तुम धर्म करते हो इसलिए परीक्षा में पिछड़ गए, महाराज जी मुझे मार्गदर्शन दे मैं क्या करूँ?’ तो मैंने उससे कहा- ‘बस एक ही बात घर के लोगों से कहो कि परीक्षा की जिंदगी में मैं पिछड़ जाऊँ, मुझे इसकी परवाह नहीं, पर जिंदगी की परीक्षा में, मैं कभी नहीं पिछड़ूँगा, यह मेरा लक्ष्य है।’

जिंदगी भर की परीक्षा में कौन स्थिर रहता है, कौन पास होता है? जिसके अन्दर अच्छे संस्कार गढ़े होते हैं और जो संस्कार के बजाय शिक्षा लेते हैं, वो मार्क्स बहुत पा लेंगे लेकिन जीवन का सब कुछ खो देंगे। इसलिए उधर ध्यान कभी मत देना।

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