शान्तिपाठ में ‘लखन 108 विराजे’ का क्या अर्थ है?

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शंका

शांति पाठ में एक पंक्ति आती है- ‘लखन १०८ विराजे।’ यहाँ १०८ लक्षण कहने से क्या तात्पर्य हैं?

समाधान

भगवान के १०८ लक्षण और ९०० व्यंजन होते हैं। तिल-मस्सा आदि व्यंजन कहलाते हैं और भगवान के छाती पर श्रीवत्स आदि के चिन्ह होते हैं उनको लक्षण बोलते हैं तो १०८ लक्षण और ९०० व्यंजन मिलाकर १००८ लांछन होते है, तो लखन १०८ विराजे जो कहा है वह १०८ लक्षणों से युक्त है।

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