शंका
वैशाली में महावीर भगवान की प्रतिमा के दोनों तरफ भगवान की प्रतिमा रखी गई थी। उसमें कोई भी चिन्ह नहीं था, ऐसा क्यों?
समाधान
अरिहंत प्रतिमा और सिद्ध प्रतिमा का शास्त्र में ऐसा ही स्वरूप अंकित है।
अरिहन्त प्रतिमा– जो प्रातिहार्य से युक्त होती है उन्हें “अरिहंत” बोलते हैं।
सिद्ध प्रतिमा– प्रातिहार्य से रहित होती है उसे बोलते हैं सिद्ध प्रतिमा।
सिद्ध प्रतिमा में कोई भी चिन्ह नहीं, छत्र नहीं, भामण्डल नहीं, चँवर नहीं, पर आकृति होती है। हम ‘निराकार’ को नहीं पूजते ‘साकार’ को पूजते हैं।
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