मुनि महाराज की समाधि जंगल में होने पर दूसरे मुनि क्या करते हैं?

150 150 admin
शंका

जब मुनिराजों की समाधि हो जाती है तो उनके मृत शरीर को संघ के मुनिराज जंगल में ही छोड़कर चले जाते हैं, क्योंकि संघ के साथ ले जा नहीं सकते और जला भी नहीं सकते, क्योंकि अग्निकाय जीवों की हत्या होती है। गाड़ भी नहीं सकते क्योंकि उनके पास कुछ भी नहीं है। तो करें तो करें क्या? यदि वो जंगल में छोड़कर जाते हैं तो शास्त्र में ऐसा आता है और सुनने में भी ऐसा आता है मृत शरीर को कौए आदि पक्षी खा जाते हैं?

समाधान

हमारे यहाँ जो कुछ भी धर्म है वो जिन्दा में है, मरने के बाद कुछ भी नहीं है। जिन्दा व्यक्ति के जीवन में धर्म होता है और जीवन रहते ही धर्म किया जाता है। शास्त्रों में मुनि महाराजों के लिए क्या विधान है बताऊँ? ऐसा विधान है कि जब मुनि महाराज की जंगल में समाधि हो तो बाकी महाराज उसके बाद उनका दाह संस्कार नहीं कर सकते, यह मुनि महाराज के धर्म के विरुद्ध है। तो क्या करते हैं? जंगल में उन्हें यू ही छोड़ दें। जैसे हम अपने मल-मूत्र को छोड़ते हैं, शरीर भी अब मल हो गया, उसको छोड़ दिया। अब जानवर खाये या कुत्ता खाये, बिल्ली, चील, गीध, कौआ, सियार, खाए कोई भी खाए। कोई दोष तो लगता है? कोई दोष नहीं लगता, उनको दोष नहीं लगता है। मुनि महाराज ने दोष के लिए नहीं छोड़ा वो मल हो गया। मल का विसर्जन कर दिया जाय। शास्त्र का ऐसा विधान है और ये भी विधान है कि उनके उस शव को कुत्ता या शियार आदि खींच करके किस दिशा में ले जा रहा है उसके आधार पर उनकी भावी गति का ज्ञान होता है। इसमें मुनियों को कोई दोष नहीं। उन्होंने तो शरीर को छोड़ दिया। अब जो करना है सो करे। उसमें हमारा कोई दोष नहीं है।

Share

Leave a Reply