धर्म में 24 ठाणा जैसे विषयों का जीवन में क्या उपयोग
एक ही उपयोग है इन विषयों को सुनोगे, तो बाहरी विषयों से बचोगे। ब्रह्मचारी अवस्था में, मेरी शुरू से रुचि रही कि गुरुदेव के समक्ष जो भी चर्चा होती थी मुझे समझ में आये या न आये, मैं बहुत गम्भीरता से सुनता था। उन दिनों आचार्य भक्ति के उपरान्त कुछ लोग रोज बड़ी गहरी तात्विक चर्चाएँ किया करते थे- निश्चय व्यवहार की अन्य चीजों की और षट्खण्डागम आदि की सुक्ष्म बातें। मैं नया-नया ब्रह्मचारी था; मुझे कुछ आता-जाता तो था नहीं, चुपचाप बैठ करके सुनता था, और उसे अपने mind में feed करता था।
एक दिन कोई चर्चा में बात आई तो मैंने गुरुदेव से निवेदन पूर्वक अनुमति लेकर के मैंने उस बात को स्पष्ट किया। उसमें कुछ विद्वान आचार्य श्री के चरणों में बैठे थे और उन्होंने जब मुझे सुना तो कहा कि महाराज जी आपने तो इनको बहुत विषय दे दिया, तो गुरुदेव ने कहा था कि- “विषय दूँगा तभी तो ‘विषय’ छूटेंगे”; जब धर्म में मन लगेगा, धार्मिक बातों में मन लगेगा, तत्व की चर्चाओं में मन लगेगा, तो विषय-कषाय की चर्चाएँ अपने आप छूट जायेंगी। ये मन को रमाने के साधन हैं, परिणाम शुद्धि के निमित्त हैं, इसलिए हम जब गुणस्थान मार्गणा आदि की चर्चा करते हैं या अन्य बातों की चर्चा करते हैं, उससे हमें जीव जगत के विषय में विस्तृत ज्ञान मिलता है और वह हमारे परिणामों की शुद्धि में भी सहायक बनता है और उतनी देर हम इधर-उधर की बातों से बच जाते हैं।
Leave a Reply