श्रावक के लिए भोजन में कौन से अंतराय होते हैं?

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शंका

क्या ब्रह्मचारियों का भी अन्तराय होता है?

समाधान

ब्रह्मचारी श्रावक होते हैं। आगम में श्रावक के अन्तराय बताये गये हैं। चाहे वो ब्रह्मचारी हो या सामान्य व्रती श्रावक, चाहे वह एक प्रतिमा वाला हो या १०-११ प्रतिमा वाला हो। आगम के विधानानुसार श्रावक के सात ही अन्तराय बताये हैं।

१) दर्शनजन्य – दर्शनजन्य अन्तराय का मतलब माँस व रक्त आदि या गीले चमड़े को देख लेने पर, चार अंगुल तक खून की धारा व पीप आदि देख लेने पर, दर्शनजन्य अन्तराय होता है। 

२) श्रवणजन्य– चीत्कार, करूण क्रंदन व विलाप सुनकर जिससे कि मन दहल जाये तो भोजन छोड़ देना चाहिए।

३) घ्राणजन्य – भोजन करते समय मल, मूत्र आदि की तीव्र दुर्गन्ध आ जाये तो ये घ्राणजन्य है।

४) स्पर्शजन्य – भोजन करते समय सूखे चमड़े का स्पर्श हो जाये, हड्डी का स्पर्श हो जाये या किसी रजस्वाला स्त्री का स्पर्श हो जाये तो भोजन छोड़ देना चाहिए।

५) स्वादजन्य– किसी त्यागी हुई वस्तु का सेवन हो जाये तो आप भोजन को छोड़ दो। 

६) तृषघात– कोई कीड़े-मकोड़े आदि मर जायें तो उसका अन्तराय होता है। आपके भोजन में उनका मृत कलेवर आ जाये तो अन्तराय करना चाहिए। 

७) संकल्पजन्य – मन में कोई विकल्प आ जाये, ग्लानि जनक विचार आ जाये तो उसका त्याग करना चाहिए।

इस तरह ये सात प्रकार के अन्तराय हैं, इसमें बाल का अन्तराय नहीं है। अब रहा सवाल कि वो अन्तराय किस भांति करें?

हम ब्रह्मचारी थे और हमारी सात प्रतिमायें थी। पहले हम लोग मुनियों की तरह अन्तराय किया करते थे। एक बार ऐसा हुआ कि हम लोग विहार करके एक गाँव में पहुँचे, वहाँ केवल चार घर की समाज थी। चौके लगे, महाराजों के आहार हुए; साथ में चौदह साधु थे। उसके बाद हम लोग तेरह ब्रह्मचारी थे। आचार्य श्री का पहुँचना अचानक हुआ था इसलिए चार घर में ही चौके लगे थे। एक चौके में ही सात ब्रह्मचारियों को पहले और दूसरे ग्रास में ही अन्तराय आ गया। हम लोग उस वक्त एक ही वक्त खाते थे। जब आकर आचार्य गुरूदेव जी को कहा कि सब को बाल आ गया, तो उन्होंने कहा कि ‘नहीं! तुम लोगों को बाल का अन्तराय नहीं करना चाहिए था, यह अनर्थ दंड है। थाली का उपभोग कौन करेगा? पूरी थाली बर्बाद हुई। मुनियों का तो एक ग्रास मात्र जाता है। आप तो पूरी थाली छोड़ कर आ गये।’ तो ऐसे में श्रावक को भी बाल का अन्तराय नहीं। उस दिन से हमने बाल के अन्तराय का निषेध किया और ये कहा कि यदि अन्तराय आये तो थाली की उस चीज को छोड़कर थाली की बाकी चीजें खाकर, पानी पीकर आ जाओ और कोई चीज मत लो। अब रहा सवाल कि जीव-जंतु आ जाए तो ग्लानि आ जाती है। भोजन शोधकर के लो ताकि wastage (बेकार) न हो। ये विचार रखना चाहिए।

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