सिद्धान्त ग्रन्थ क्या हैं, उनका पढ़ना कब वर्जित है?

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शंका

सिद्धान्त ग्रन्थ क्या हैं, उनका पढ़ना कब वर्जित है?

समाधान

सिद्धान्त ग्रन्थ के विषय में धवला में एक जगह वर्णन है कि गणधर द्वारा रचित जो ग्रन्थ सीधे द्वादशांग से संबन्ध रखते हैं, उनको सिद्धान्त ग्रन्थ या सूत्र ग्रन्थ कहा गया है काल शुद्धि की दृष्टि से सिद्धान्त ग्रन्थों को पढ़ने का अधिकार गृहस्थों को नहीं है। षट्खंडागम के अध्ययन का अधिकार गृहस्थों को नहीं है। अष्टमी, चतुर्दशी, अमावस्या, पूर्णिमा और अष्टान्हिक के दिन जब दिक-दाह-उल्कापात आदिक हो रहा हो, तो इन सब कालों को ऐसे ग्रन्थ के अध्ययन के अयोग्य माना गया है। यह तक लिखा है, अष्टमी को स्वाध्याय देने से गुरु-शिष्य का वियोग तक हो जाता है। इस तरह से ऐसे सिद्धान्त ग्रन्थों को नहीं पढ़ना है। 

अब रहा सवाल तत्त्वार्थ सूत्र का, यह सूत्रात्मक है। सिद्धान्त के तत्त्वों का विवेचन है। लेकिन वह सीधे द्वादशांग से संबन्धित नहीं है। आचार्य वीरसेन ने इसे अध्यात्म शास्त्र निरूपित किया है। इसलिए तत्त्वार्थ सूत्र आदि को पढ़ सकते हैं।

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