अशुद्धि के दिनों में महिलाओं को क्या नहीं करना चाहिए?

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शंका

जो महिलाएँ पर्यूषण में अशुद्धि से हो जाती हैं, तो वो कैसे ज्यादा से ज्यादा धर्म कर सकती हैं? क्या इन दिनों में पारस चैनल पर जो वीडियो हैं, उन्हें देख सकते हैं या ऑडियो सुन सकते हैं? आजकल कुछ परिवारों में, माँ, बेटियाँ, सास, बहू और पति यह कुछ ग्रहादि कार्य करने में दबाव डालते हैं या फिर करने से मना नहीं करते; तो ऐसे में जो दोष लगते हैं उनके बारे में बताइए ताकि वह ऐसा ना कर पाएँ।

समाधान

अशुद्धि के दिनों में स्त्रियों को ३ दिन तक किसी भी धार्मिक प्रतीक को नहीं देखना चाहिए, चाहे वह पारस चैनल हो या जिनवाणी चैनल या कोई भी चैनल। आप जब उन कार्यक्रमों को देखते हैं तो क्या देखते हैं, चित्र देख रहे हैं कि कार्यक्रम देख रहे हैं? आप शंका समाधान घर बैठे देखते हैं तो क्या देखते हैं, प्रोग्राम को देख रहें हैं कि महाराज को देख रहें हैं? महाराज को देख रहें हैं, तो फिर कैसे देखेंगे? तीन दिवस तक पूर्ण शुद्धता का पालन करना चाहिए, हाँ, आवाज़ सुन सकते हैं। तो ऐसे दिनों में क्या करें? अपने टीवी की स्क्रीन पर एक पर्दा लगा दें और शांति से सुनें। णमोकार मन्त्र की मानसिक जाप आप कर सकते हैं। जो पाठ, बिनती आपको आती है उसका बिना उच्चारण के मनन चिंतन कर सकते हैं। बाकी कभी भी ३ दिनों तक, मेरी राय में, मुनिराजों और २४ तीर्थंकर भगवानों की छवि का अवलोकन नहीं करना चाहिए। आप कह सकते हैं कि ‘घर में तस्वीरें लगी रहती हैं’, तो घर की तस्वीरों में आपको उतनी जीवंतता का भाव नहीं होता क्योंकि रोज देखते रहते हैं। पर टीवी के प्रोग्राम में तो यह रोज देखने में आपके अंदर जीवंतता दिखती हैं इसलिए एक पर्दा लगाइए, gap (अंतर ) रखिये, यह प्रैक्टिकल भी है।

रहा सवाल ३ दिन तक चौके में काम करने की बात का, बिलकुल नहीं होना चाहिए। यह घोर पाप है, अनर्थ है। जिस घर में मासिक धर्म के दिनों में महिलाएँ शुद्धि नहीं पालती वह घर सूतक ग्रस्त माना जाता है। नेगेटिव एनर्जी का प्रवाह होता है। मैंने पहले भी कुछ घटनाओं का उल्लेख किया, जिसमें इस तरह के कृत्य करने के बड़े दुष्परिणाम आये हैं। अभी एक घटना मेरे सामने आई, एक बहन जी ने बताया कि “महाराज जी, इन्होने वर्षा के जल का अमृतकुंड बनाया था और तीसरे दिन एक महिला ने छू दिया, उसमें कीड़े हो गए।” उस अमृतकुंड को बने हुए १० साल से अधिक हो चुका था, लेकिन तीसरे दिन छू लेने के कारण वह अशुद्ध हो गया। इन सब चीजों को भले विज्ञान माने या ना माने, हमें स्वीकार करना चाहिए। मानता हूँ कि एक प्राकृतिक घटना है, पर है तो अशुद्धि का स्राव, और मल जहाँ होता है वहाँ नेगेटिव एनर्जी का बहुत अधिक फ्लो होता है और उस नकारात्मकता का प्रभाव आपके घर परिवार सब जगह होगा। घर की रिद्धि-सिद्धि समाप्त होती है। अब संयुक्त परिवार का अभाव होने के कारण यह बड़ी व्यापक समस्या आ गयी। इस समस्या का निदान खोजना चाहिए, महिलाएँ चौके में न जाए, पुरुषों को खाना बनाना सीखना चाहिए, अब यह व्यवस्था बनानी चाहिए, इसमें कोई हानी नहीं है। मैं तो हमेशा पुरुषों को कहता हूँ कि तुम्हारी धर्म-पत्नी उपवास करे तो तुम सुबह पारना कराओ, अपने हाथ से बना के। यह एक बड़ा प्रैक्टिकल सोल्यूशन है।

पिछले साल अजमेर में इसकी शुरुआत हुई। हर समाज में मंदिरों के पास एक शुद्ध भोजनशाला चलनी चाहिए। वहाँ सशुल्क भोजन उपलब्ध कराना चाहिए। जिनके घर में ऐसे ३ दिन की असुविधा है उनको टिफिन डिलीवरी देने की सुविधा देनी चाहिए। पिछले वर्ष अजमेर चातुर्मास में यह पहल हुई, वहाँ बहुत अच्छा चल रहा है। हर मंदिर के आसपास ऐसी टिफिन की सुविधा हो; इससे हमारे समाज के एक परिवार का पेट पलेगा और आपको इस समस्या के जंजाल से मुक्ति भी मिलेगी। ऐसा होना चाहिए और यह मैं उदयपुर के लिए नहीं बोल रहा हूँ, पूरे देशवासियों को बोल रहा हूँ, इस पर्युषण में ऐसा संकल्प लीजिए। इसमें चैरिटी की भी जरूरत नहीं है, सशुल्क होना चाहिए। देशभर के लोग इस कार्यक्रम को देख और सुन रहें हैं उनसे भी मैं कहूँगा इस समस्या की गंभीरता को समझते हुए इसका सही निदान खोजें और अपने घर में ऐसी व्यवस्था न करें। जिस घर में ऐसीअशुद्धि है उस घर में चौका भी नहीं रखना चाहिए। चौका तभी लगना चाहिए जब पूरे चौके को पुनः शुद्ध किया जाए। वह घर शुद्ध नहीं है इसका ध्यान रखना चाहिए। इसके साथ ही आपके घर में सोफे होते हैं, आप की गाड़ियाँ होती है, उन सब में कपड़े के सीट कवर होते हैं, उसमें शुद्ध अशुद्ध दशा में सब बैठते हैं, वह आपके घर की शुद्धि नहीं है। रेक्सिन का लगाना चाहिए जो सोला माना जाता है, उसमें किसी भी प्रकार की नकारात्मकता हावी नहीं होती। इसीलिए अपने घरों में सोफा हो, गाड़ियाँ हो तो उसकी सीट कवर आप कपड़े की बिल्कुल मत लगाओ क्योंकि आप यह व्यवस्था तो नहीं बना सकते कि-‘तुम बैठो, तुम नहीं बैठो’। सावधानी रखनी चाहिए। इस प्रमाद का निवारण होना चाहिए। मैंने एक डॉक्टर वाला उदाहरण दिया था बहुत पहले, कि कैसे उसे उल्टियाँ होती थी और घर की शुद्धि करने के बाद उसकी उल्टी दूर हो गई। ऐसे अनेक उदाहरण हैं कई लोग इसके भुक्त भोगी होंगे, कई लोग हम तक नहीं पहुँच पाए, यदि कोई ऐसे और क़िस्से आए तो ज़रूर पहुँचाएँ ताकि लोग इसमें जागरूक हो सकें, इसके दुष्परिणाम से बचा जा सकें।

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