शांतिधारा के लिए बोली रखना कहाँ तक उचित है?

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शंका

शांतिधारा को बोली करना कहाँ तक उचित है?

समाधान

शांतिधारा एक धार्मिक अनुष्ठान है और शांतिधारा की बोली रखने  में कोई एतराज नहीं करना चाहिए। इस बहाने आपका दान हो जाता है। इतने पवित्र कार्य से जिससे आप लोक मंगल की कामना, अपनी शांति की कामना कर रहे हैं उस निमित्त से यदि आपके द्वारा मन्दिर में कोई धनराशि जाती है, तो यह महापुण्य का कारण बनता है। इससे देवपूजा के साथ-साथ दान का आवश्यक भी पूर्ण हो जाता है। 

रहा सवाल बोली लगाने का तो बोली लगाने से कई लोगों को अवसर मिल जाता है, मन्दिरों का रखरखाव भी अच्छे से हो जाता है। आप यह कह सकते बहुत सारे लोग वंचित रह जाते हैं, तो बोली के लिए कुछ ऐसे प्रावधान बना दिया जाना चाहिए कि एक न्यूनतम राशि रख दी जाये, ऐसे लोगों को जो बोली नहीं ले सकते उनको भी अवसर दे दिया जाए। लेकिन मैंने कई जगह देखा है कि कई लोग ऐसे भी होते हैं जो ख़ास अवसर की तलाश में बोली लेने से वे लोग भी मन्दिर आ जाते हैं वह अभिषेक कर लेते हैं, जो कभी करते नहीं। जैसे किसी के यहाँ कोई जन्मदिन है, वर्षगांठ (anniversary) है या और कोई माँगलिक निमित्त है, तो उस दिन लोग आते हैं, परिवार के साथ आते हैं, उनका बड़ा उत्साह रहता है, तो मन्दिरों की व्यवस्था आदि बनती है। इसमें कोई भी गलत नहीं है बल्कि मेरे सम्पर्क में कुछ लोग हैं जिन्होंने चर्चा के बाद कि जब भी हमें शांतिधारा करना है कभी खाली हाथ शांतिधारा नहीं करना– अक्सर शांतिधारा करते हैं और उन्होंने ये बताया कि जब से हमने शांतिधारा शुरू की है, हमारे जीवन में दिन दूनी रात चौगुनी वृद्धि हुई है इसलिए इन सब चीजों में दिमाग नहीं लगाना चाहिए। हाँ यदि कोई व्यक्ति ऐसे हैं जो नहीं ले सकते तो बोली लेने के उपरान्त भी आप उनको अपनी तरफ से दे सकते हैं कि नहीं, बोली मैंने जरूर लिया है लेकिन आप करो, मैं पीछे से हाथ लगाऊँगा यह अन्य लोगों की उदारता हो सकती है और राशि एक टोकन रूप में भी रखी जा सकती है।

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