स्त्री पर्याय नहीं, संसार से पार होने की भावना भायें

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शंका

स्त्री पर्याय नहीं, संसार से पार होने की भावना भायें

समाधान

अरे, स्त्री पर्याय छेद कर क्या करोगें? संसार छेदने की बात सोचो। ऐसा थोड़ी की जो आज स्त्री वह अनादि से स्त्री ही बनी रही, और पुरुष है वह अनादि से पुरुष है, या अनन्त काल के लिए पुरुष ही बने रहेंगे? ऐसा नहीं है।

आज जो पुरुष हैं वह अनंत बार स्त्री और नपुंसक बन चुके हैं और जो स्त्री हैं वह भी अनन्तो बार नपुंसक और पुरुष बन चुकी। इसलिए पर्याय छेदने की बात तो पर्याय दृष्टि है, सम्यक दृष्टि ऐसी बात नहीं करता। संसार छेदने की बात करो। स्त्रीत्व और पुरुषत्व से ऊपर उठने का भाव रखों। तभी आपके जीवन में सार्थकता घटित होगी।

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