निंदा करने से नीच गति के गोत्र का बन्ध होता है!

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शंका

तत्त्वार्थ सूत्र में लिखा है कि “निंदा करने से नीच गति के गोत्र का बन्ध होता है”। अधिकांश जीव निंदा करते हैं, तो क्या सभी को नीच गति का गोत्र का बन्ध होता है?

समाधान

ज्यादातर! इस पंचम काल में और क्या होगा? यहाँ के मनुष्य और तिर्यंच, ज्यादातर नारकी बनेंगे या तिर्यंच बनेंगे। यह दोनों के नीच गोत्र का ही उदय होता है

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