जीवन में गौ सेवा का महत्त्व!

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शंका

हम सब लोगों के जीवन में गौ माता की सेवा करने का क्या महत्त्व है?

समाधान

गौ सेवा को भारतीय परम्परा में महत्त्वपूर्ण स्थान दिया है और जैन परम्परा में भी गौ सेवा का महत्त्वपूर्ण स्थान है। हमारे आचार्य वीरसेन स्वामी ने धवला में लिखा है “या श्री सा गौ” जो कोई भी सम्पत्ति या लक्ष्मी है वह गाय में है। गाय को वात्सल्य का प्रतीक बताया है जहाँ बछड़े समेत गाय रहती है वहाँ पॉजिटिव एनर्जी का फ्लो बढ़ता है, वात्सल्य की वृद्धि होती है। इसके अतिरिक्त गौ सेवा के कई अन्य चमत्कारी परिणाम भी देखने को मिले। उसके उदाहरण आपको देना चाहूँगा। सबसे पहले डॉक्टर सुहास शाह ने दो घटनायें मेरे सामने रखी थीं, इसी शंका समाधान के कार्यक्रम में। 

डाक्टर सुहास शाह एक बहुत बड़े आर्थोपेडिक सर्जन हैं, माइक्रो सर्जन हैं, इंटरनेशनल फेम के डॉक्टर हैं, उन्होंने दो घटनाएँ रखीं। एक घटना बांसवाड़ा के परिवार की थी। एक्सीडेंट में शरीर के नीचे का हिस्सा काम करना बंद कर दिया था, उनकी रीढ़ की हड्डी पूरी घिस गई थी, स्थिति बड़ी गम्भीर थी चूँकि ये orthopaedic थे, तो लोगों ने कहा ‘डॉक्टर साहब आप कुछ बताओ।’ डॉक्टर साहब ने कहा कि ‘मेरे मन में अचानक आया और मैंने उनसे कहा कि आप गौरक्षा में अपना कुछ सहयोग दीजिए’ और उन्होंने ११ गायों के प्राण बचाने के लिए दान दिया। आप सब सुन कर आश्चर्य करेंगे उस व्यक्ति की स्थिति में १५वें दिन से सुधार आना शुरू हो गया और वह व्यक्ति ठीक हो गया जिसकी कोई आशा नहीं थी

इसी प्रकार पुणे में एक व्यक्ति एक गौशाला चलाता है। उस गौशाला में सड़क पर जितने भी पागल घूमते हैं उनको ले जा कर के गायों के बीच में रखता है। पागलों को गायों के बीच में रखता, वो पागल जो लावारिस पागल है, सड़क चलते, सन्त तुकाराम से जुड़ा हुआ नाम होगा उसका और वहाँ जो पागल जाते हैं वे 100 परसेंट ठीक हो जाते हैं। यह गौसेवा का फल है। इसके अतिरिक्त मैंने कई मरणासन्न लोग जो वेंटिलेटर पर हैं, उनके जब समाचार आए तब इसका प्रयोग कराया। आपको सुनकर बहुत अच्छा लगेगा, ९५% पॉजिटिव रिजल्ट आये। 

कई ऐसे केस है अगर मैं पूरे केसेस का उल्लेख करूँ तो बहुत चर्चा हो जाएगी। इसका प्रभाव है, भरत चक्रवर्ती को जब १६ अशुभ सपने आये, आदि पुराण में इसका वर्णन आता है, तो उनका मन उचट गया, क्या होगा भगवान? उस १६ सपनों के निमित्त से होने वाली मन की अशांति को दूर करने के लिए उन्होंने शांति कर्म किया और शांति कर्म में भगवान का अभिषेक किया और पात्र दान दिया और साथ में एक तांत्रिक प्रयोग किया। १,००,००० गायों को एक साथ खड़ा करके उनके दूध से सीधे थन से धरती में दूध छोड़कर धरती को तर किया, संहिता ग्रंथों में भी इसका प्रयोग बताया, जब मैंने इसे पढ़ा तो फिर मेरा ध्यान गया और मैंने इसका प्रयोग किया। 

मेरी एक प्रवृत्ति है, मैं केवल इन सब बातों को पढ़ करके ही सन्तुष्ट नहीं होता, जिज्ञासा और कुतूहलवश प्रयोग भी कराता हूँ। मैंने इसका प्रयोग कराया, एक परिवार में चार भाई थे, उनमें आपस में घोर क्लेश था, मैंने उनसे कहा कि तुम अपने यहाँ गाय रखो, बछड़े समेत देसी गाय, जर्सी गाय गाय नहीं है, देसी गाय को बछड़े समेत रखो और घर में गाय के रंभाने की आवाज गूँजनी चाहिए। उनके साथ यह दूध वाला प्रयोग किया, आप सबको सुनकर आश्चर्य होगा महीने में उनके अन्दर का सारा मैल दूर हो गया और आज बड़े प्रेम से रह रहें। कई लोगों को मैंने प्रयोग कराया जिनके व्यापार में प्रगति नहीं, प्रतिष्ठान ठप्प पड़े थे, वहाँ इस तरह के गाय के बछड़े के साथ सप्ताह तक लगातार प्रयोग किया, उनमें बहुत परिवर्तन आया तो हम इस बात को निष्कर्ष कह सकते हैं कि गाय प्रेम और वात्सल्य का प्रतीक है और उससे पॉजिटिव एनर्जी आती है। 

हमारे सम्पर्क में सैकड़ों कार्यकर्ता हैं जो गौ सेवा में तत्पर रहते हैं और मुझे जितने भी गौसेवक मिले हैं सब बड़े खुशहाल और प्रसन्न देखने को मिले हैं। उनके जीवन में कोई ऐसी आपत्ति-विपत्ति आई नहीं और आई भी है, तो उन्होने अपने आप को सम्भाल लिया है, तो जो भी हो इसका लाभ है और प्रत्यक्ष रूप में जीव दया का कार्य है। हमें ऐसे कार्यों के लिए उत्साहित होना चाहिए और हर अच्छे मौके पर गौरक्षा के लिए दान जरूर देना चाहिए, चाहे शादी-ब्याह का मौका हो या अन्य कोई जन्मदिन आदि के मांगलिक प्रसंग हो, जरूर दो और कहाँ दो, दयोदय महासंघ में भेज दो या फिर तुम लोगों के लिए तो यही की गौशाला है, अजमेर वालों के लिए और प्रदेश भर के लिए दयोदय महासंघ में भेज दो, वहाँ से १३७ गौशालाओं में द्रव्य जाता है, बहुत अच्छा कार्य है।

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