सोलह दिवसीय शुक्ल पक्ष में विधान का क्या महत्त्व

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शंका

जब शुक्ल पक्ष सोलह दिन का पड़ता है, तो उसमें शान्ति विधान क्यों किया जाता है और किस पक्ष का क्या महत्त्व है?

समाधान

जब सोलह दिवसीय शुक्ल पक्ष पड़ता है, चन्द्रमा अपनी सोलह कलाओं से युक्त होता है। इस धरती पर चन्द्रमा का बड़ा प्रभाव पड़ता है क्योंकि धरती में एक तिहाई ठोस तत्त्व है और दो तिहाई जल तत्त्व है, जल भाग है। जैसे धरती पर दो तिहाई जलीय भाग है उसी तरह हमारे शरीर में एक तिहाई ठोस और दो तिहाई जल तत्त्व है। चन्द्रमा की कलाओं की वजह से समुद्र का जल स्तर चढ़ता उतरता है, प्रभावित होता है। वैसे ही चन्द्रमा की कलाओं से हमारे मनोबल का स्तर भी चढ़ता उतरता है। उसके निमित्त से हमारे भीतर के जल तत्त्व में भी वृद्धि आनी शुरू होती है।तो शुक्ल पक्ष में सोलह दिवसीय पखवाड़े का होना मतलब चन्द्रमा के पूर्ण बल का सद्भाव होना। ऐसी स्थिति में हमारा मनोबल ज्यादा काम करता है। चन्द्रमा बल अच्छा होने से मनोबल अच्छा होता है, ऐसा कहा जाता है। ऐसे दिनों में हम जब कोई विशिष्ट आराधना, अनुष्ठान करते हैं तो चूँकि हमारा मनोबल ज्यादा है, तो हमारी आराधना प्रगाढ़ होती है, जो हमारे पापों की निर्जरा में विशेष निमित्त हो सकती है। 

सोलह दिवसीय पखवाड़े में सोलहवें तीर्थंकर भगवान शान्तिनाथ की आराधना में हम दिन बिताते हैं। सोलह के साथ ये सोलह जुड़ा और नाम शान्तिनाथ है। तब हमारे मन के साथ ये सारी सकारात्मक बातें जुड़ जाती हैं। भक्ति की विशिष्ट तरंगें उत्पन्न होती हैं और ये हमारी आधि-व्याधि को शान्त करने में निमित्त बनती हैं। इसलिए इन दिनों जब आप विशिष्ट आराधना करते हैं तो उसमें सातिशय पुण्य का बन्ध होता है और ये सातिशय पुण्य का बन्ध अशुभ/अमंगल के निवारण में निमित्त बन जाता है। इसकी कथाएँ हैं। इसके पीछे का मनोवैज्ञानिक पहलू जो मुझे समझ आया, वह मैंने आप लोगों के बीच में रखा।

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