क्या भाग-दौड़ कर वंदनाएँ करना उचित है?

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शंका

मैंने कुछ लोगों को यात्रा करते हुए देखा है; तीन-तीन, चार-चार यात्रा करते हैं एक ही दिन में, चावल डालते हैं, फटाफट भागकर यात्रा करते हैं?

समाधान

भागने का नाम यात्रा नहीं है। ‘वंदना’ का नाम यात्रा है। भाग कर यात्रा मत करो, एक-एक टोंक पर जितना समय दे सको, दो, और ये होड़ कभी मत करो कि मैं पर्वत से जल्दी से जल्दी उतर के नीचे जल्दी आऊँ। भाव सहित एक वन्दना और भाग दौड़ की हजार वन्दना दोनों बराबर है।

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