पूजा खड़े होकर करनी चाहिए या बैठकर?

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शंका

जिनेन्द्र देव की पूजा खड़े होकर करनी चाहिए या बैठकर?

समाधान

‘ठाड़े होये के’ का मतलब ‘खड़े हुए’, लेकिन आजकल के लोगों में, इक्कीसवीं शताब्दी में सत्व कम हो गया। खड़े हो नहीं पाते, अब तो बैठ भी नहीं पाते। कहीं ऐसा युग न आ जाये कि बैठकर पूजा करने लगें। 

उत्तम तो खड़े होकर ही करना है। व्यवस्था के अनुरूप आज बहुत सारे लोग खड़े होकर करते हैं और तो बुन्देलखण्ड में जो विधान होता है, वहाँ बैठने की व्यवस्था ही नहीं होती। आज भी जो विधान हो रहा होगा, वहाँ पर लोग विधान में खड़े ही होंगे। आप लोग बोलते है, ‘विधान में बैठ रहे हैं।’ वहाँ बोलते हैं, ‘विधान में खड़े हो रहे हैं।’ वास्तविक आनन्द तो वही है।

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