क्या महामृत्युंजय विधान, कालसर्प योग, नवरात्र विधान करना उचित है?

150 150 admin
शंका

आजकल कुछ आचार्य एवं गुरु महामृत्युंजय विधान, कालसर्प योग, नवरात्र विधान यह करवाते है, क्या यह उचित है?

समाधान

ऐसा है कितने ही महामृत्युंजय विधान कर लो, मृत्यु को आज तक कोई जीत पाया? जो महामृत्युंजय विधान लिखा आज वो ही दुनिया से नदारद है। ये सब क्या है? मणि मन्त्र तन्त्र बहु होई मरते न बचावे कोई, उक्ति को याद रखें। हमारे मूलभूत जैन धर्म में अनेक टोटके प्रकट हो गये। महामृत्युंजय जाप णमोकार मन्त्र के ऊपर आश्रित है। इस जाप को आप जपें इसका निषेध नहीं है लेकिन मैं मृत्यु को जीत लूँगा, यह नहीं होगा। सच्चे अर्थ में इस तरह के जाप-पाठ का लक्ष्य मृत्यु के भय का निवारण होना चाहिए। मरूंगा जब मरूँगा पर मरने की चिन्ता में जीते जी नहीं मरूंगा, ये लक्ष्य रखिये। क्या इसे विधान नहीं करें? विधान करो तो पंच परमेष्ठी से जुड़ करके करो लेकिन यह मत सोचना कि ऐसे विधान से तुम्हारी आयु बढ़ जाएगी। हो सकता है ठीक ढंग से जाप-पाठ करें तो आयु का क्षय घट जाए लेकिन यह सोचना गलत है कि ऐसा करने से मेरी आयु टल जाएगी, ये सम्भव नहीं। आयु किसी की बढ़ती नहीं, मृत्यु किसी की टलती नहीं, हाँ हमारी तीव्र असाता की उदीर्णना में कुछ कमी हो सकती है। आयु कर्म की उदीर्णना में कुछ कमी हो सकती है लेकिन केवल इन पर निर्भर रहना ठीक नहीं। 

इसी तरह आपने कालसर्प योग की बात कही, मैं आप सब से कहता हूँ कि कालसर्प नाम का, ज्योतिष की दृष्टि से कोई योग होता ही नहीं। मिस्टर के.आर राव भारत के एक बहुत बड़े स्थापित ज्योतिष के ज्ञाता है, इनका लेख मैंने पढ़ा था। लेख का शीर्षक था “कुरीतियाँ आई है ज्योतिष में” उन्होंने कालसर्प योग के विषय में लिखा कि ज्योतिष के किसी भी मान्य ग्रन्थ में कालसर्प नामक कोई योग है ही नहीं, इसे आज से ३५ वर्ष पहले किसी विद्वान ने याद किया। यह लेख मैंने १० साल पहले पढ़ा था तो आज से ४५ साल मानो, अन्य विद्वानों ने इसका निषेध केवल इसलिए नहीं किया कि यह लोगों के कमाई का जरिया बन गया है। उन्होंने लिखा कि जिस राहु और केतु के मध्य में सभी प्रमुख ग्रहों के आने के बाद यह तथाकथित कालसर्प योग कहा जाता है वह तो लाभकारी राजयोग है। हाथ कंगन को आरसी क्या, मोरारजी भाई देसाई, ज्ञानी जैल सिंह, चौधरी चरण सिंह, नारायण दत्त तिवारी, अमिताभ बच्चन, हेमा, धीरूभाई अंबानी, सचिन तेंदुलकर जैसे अपने-अपने क्षेत्र के सफल, अति सफलतम लोगों की कुंडली में यह कालसर्प योग है इसलिए इन पर भरोसा नहीं करना चाहिए। 

नवरात्रि में पूजा-अर्चना जैन परम्परा के कतई अनुकूल नहीं है। जैन परम्परा में तो इस तरह की कोई प्रक्रिया है ही नहीं, हमारे देव न कभी सो, ते न कभी जागते हैं, उनको नींद ही नहीं आती इसलिए ये सब अवधारणाएँ ठीक नहीं है। कालसर्प योग आजकल हर चीज में, किसी को भी बोले, लोगों को प्रॉब्लम तो कुछ न कुछ बनी रहती है, शादी नहीं हो रही है- कालसर्प योग, व्यापार नहीं चल रहा है- कालसर्प योग, नौकरी नहीं लग रही- कालसर्प योग, माँ-बाप से नहीं बन रही है-कालसर्प योग, कुछ कहो- कालसर्प योग गड़बड़ हो जाता है। उन्होंने कहा महाराज बहुत परेशान हूँ, बेटे की ३० साल की उम्र हो गई, सीए सीएस है, शादी नहीं हो रही। हमने कहा भैया शादी नहीं हो रही, नहीं हो रही तो मेरे पास भेज दो, क्या दिक्कत है। ऐसा मत सोचना हमारी हुई नहीं सो निकल गए। ३० साल का हो गया, बड़ी चिन्ता होती है कि नहीं हो रही, लोग कहते हैं कि कालसर्प योग लगा हुआ है, उपाय आप बताइए? हमने कहा, क्या किया कालसर्प योग में? बोले दो बार उतारा करा लिया लेकिन कुछ नहीं हुआ। हमने कहा तुम्हारा कुछ नहीं हुआ, जिसने उतारा उसका तो हो गया होगा, कितने लगे, वो बोले एक बार में ५०००रू। वो तो निहाल हो गया, तुम्हारा कुछ नहीं हुआ, फिर मैं उस आदमी को जानता था। हमने कहा तुम्हारे बेटे की शादी जब होनी होगी, हो जाएगी, परेशान क्यों होते हो। नहीं महाराज, जवाब देने लगा, क्योंकि बेटे के पीछे बेटी भी है, वह भी २७ साल की हो गई। कोई उपाय तो बताइए आप। हम बोले तेरी शादी कितने साल की उम्र में हुई थी? बोले ३२। हम बोले दो तो अभी बाकी है। तुम अपना काल सर्प का उतारा किया था क्या? बोला महाराज तब तो जानते ही नहीं थे, किसी से पूछा नहीं था, जोग ही ३२ बरस में लगा। हम बोले जब बत्तीस में तेरी लगी है तभी तो तेरे बेटे में वर्ष की बाकी है। योग ऐसा बना कि उस लड़के की शादी हो गई और संयोगत: ३२ साल की उम्र में हुई। कालसर्प योग यदि उतारना तो एक ही उपाय है, देख, कालसर्प योग सब पर है, हम पर, तुम पर, सब पर, काल रूपी साँप आप सबके सिर पर बैठा है और इस काल साँप को उतारना है, इस कालसर्प योग से मुक्ति पाना है, तो एक ही उपाय है, दिगम्बर मुद्रा को अंगीकार कर लो, भव-भव का उद्धार हो जाएगा, कालसर्प योग उतर जाएगा।

Share

Leave a Reply