शंका
आज कल सभी जगह जिनवाणी सही तरीके से विराजमान नहीं होती है। उसका क्या उपाय है?
समाधान
हमारे यहाँ जिनवाणी को पूज्य माना गया है, पर हमारे यहाँ जिनवाणी की अलग से वेदी बनाने की परम्परा नहीं रही है। मन्दिर के शास्त्र भण्डार में जिनवाणी होती है और वहाँ बैठकर के लोग उसे नमन करते है और वहीं अपना स्वाध्याय आदि करते हैं। इसलिए जो रूप है वही होना चाहिए। अलग से वेदी बनाने का विधान शास्त्रों में नहीं दिखता है।
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