स्तोत्रों का पाठ घर में करें या मन्दिर में?

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शंका

भक्तामर स्तोत्र आदि स्तोत्रों का स्नान करने के बाद मन्दिर जाने से पूर्व घर पर पाठ करने से कोई पुण्य-लाभ मिलता है? पूर्व कोटि का मतलब क्या है?

समाधान

भक्तामर स्तोत्र वगैरह कोई स्तोत्र आप जब भी पढ़ें ये पुण्य की ही क्रियाएँ हैं, अच्छे कार्य हैं, शुभ भाव को उत्पन्न करने वाले निमित्त हैं। इसलिए इनसे पुण्य का उपार्जन होगा। सवाल है मन्दिर में या घर में? तो मन्दिर में ज्यादा एकाग्रता होती है। वो विशिष्ट स्थान है धर्म का प्रभाव पड़ता है। घर में कई बार उतनी स्थिरता नहीं होती, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि घर में पाठ करो तो कुछ नहीं मिलता घर की पूजा प्रार्थना का फल घर जैसा और मन्दिर की पूजा प्रार्थना का फल मन्दिर जैसा होता है। 

दूसरा प्रश्न पूर्व कोटि क्या है? चौरासी लाख वर्ष का एक पूर्वांग होता है उसे चौरासी लाख से गुणा कर दें तो एक पूर्व होता है और उसे एक करोड़ से गुणा कर दें तो एक पूर्व कोटि होता है।

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