असाध्य रोग से पीड़ित व्यक्ति क्या करे-अंगदान या समाधिमरण?

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शंका

यदि किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य को लेकर डॉक्टरों ने जवाब दे दिया हो, तो क्या ऐसे व्यक्ति को समाधि लेना या heart donate (हृदय दान) करना चाहिए?

समाधान

आपका प्रश्न बहुत गम्भीर प्रश्न है। क्या जीते-जी कानून हार्ट डोनेशन करने की आज्ञा देता है? क्या कोई जीवित व्यक्ति अपने हार्ट का डोनेशन कर सकता है? नहीं है, वो कानूनन ही अपराध है और जो कानूनन अपराध है वो धर्मसम्मत नहीं हो सकता। 

मृत व्यक्ति के हार्ट का प्रत्यारोपण भी मरने के तुरंत बाद किया जा सकता है। लेकिन लम्बे समय के बाद उसको उपयोग नहीं किया जा सकता। 

हमारे यहाँ जीते जी दान देने की बात है, मरने के बाद की बात हमारे यहाँ नहीं होती। हमारा सारा धर्म जीते जी करने का है, मरणोपरांत किया जाने वाला धर्म, लोकधर्म हैं। उससे हमें लेनादेना नहीं। जो तुम्हारा है उस के दान करने से पुण्य मिलेगा, जो तुम्हारा नहीं है उसका दान करने से तुम्हे पुण्य नहीं मिलेगा। जबतक तुम जीवित हो तब तक तुम्हारा शरीर है। शरीर का कोई भी उपयोग करो, वह तुम्हारे लिए उपयोगी हो सकता है, उससे पुण्य-पाप का सम्बन्ध होगा, जब शरीर को तुमने छोड़ दिया, वह शव बन गया। अब वह शरीर तुम्हारा नहीं। उसका दान करोगे, वो तुम्हें कोई पुण्यलाभ नहीं दे सकता, किसी के काम आ जाये ये बात दूसरी है।

यदि वह व्यक्ति समाधि लेता है, तो वह उस व्यक्ति के आत्मा के कल्याण में निमित्त बनता है, इसलिए समाधि ही श्रेयस्कर है, जिससे आप अपना कल्याण कर सको। इस देह को छोड़ने के बाद यदि इस देह का कोई उपयोग किसी और के लिए हो तो मैं उसके लिए कुछ नहीं कहूंगा, मगर वो दान नहीं, वो धर्म नहीं। क्योंकि स्वयं की वस्तु के त्याग का नाम दान है और जो जीते जी किया जाये उसका ही नाम धर्म है, उसी का नाम दान है।

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