संक्लेश एवं उसके परिणाम!

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शंका

संक्लेश एवं उसके परिणाम!

समाधान

संक्लेश की कई प्रकार की परिभाषा है, एक संक्लेश वह जिसे हम अशुभ परिणाम से निर्मित संक्लेश कहते हैं। अशुभ परिणाम जिसमें क्रूरता हो, कलुशता हो, अशुभ भाव से जो उत्पन्न हुए हो वह संक्लेश है। जो व्यक्ति के दुर्गति का कारण है। आध्यात्म की दृष्टि से जब हम विचार करते हैं, तो आत्मा में लीन हो जाना और अप्रमद अवस्था में जाना विशुद्धि है और उस अप्रमद अवस्था से नीचे प्रमद अवस्था में आ जाना संक्लेश है। वो संक्लेश और विशुद्धी की जो विवेचना है अति उच्च भूमिका की अपेक्षा से है। उस संक्लेश को आप इस संक्लेश से नहीं जोड़ सकते। 

बात ऐसी है कि एक व्यक्ति शुक्ल लेश्या में था, अब वह पद्म लेश्या में आ गया तो उसके विचारों का डाउनफाल हुआ, तो इस डाउनफाल को संक्लेश बोलते हैं। पद्म लेश्या वाला था, वह पीत लेश्या में आ गया तो उसके भाव गिरे तो इसका नाम संक्लेश है। पर ऐसे संक्लेश नहीं समझना, जैसा कृष्ण लेश्या वाले को होता है, तो वह अशुभ परिणाम निर्वत्तक संक्लेश और भावों के उतार निर्वत्तक संक्लेश इसमें अन्तर है। आध्यात्म की दृष्टि से भावों का नीचे आना संक्लेश कहलाता है।

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