छोटी एवं बहुमूल्य प्रतिमाओं की प्रासंगिकता!

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शंका

आपने अभी कुछ दिन पहले आपने बतलाया था कि अब युग परिवर्तन आ गया है, अब मन्दिर और प्रतिमायें खंडित नहीं की जातीं। फिर उन प्रतिमाओं को वापस भूगर्भ में विराजमान करके हमें क्यों दर्शन लाभ से वंचित किया जा रहा है? आजकल बहुत छोटी छोटी बहुमूल्य प्रतिमायें बनाई जा रही है जिनका दर्शन लाभ भी नहीं हो पाता है।

समाधान

प्रतिमा दर्शन पूजन के लिए स्थापित की जाती है और दर्शन पूजन करना चाहिए। मैंने जिस सन्दर्भ में कहा था उसे ठीक से समझिये, हम लोग बड़े भाग्यशाली हैं; एक युग था जब मूर्ति भंजकों का प्रकोप रहता था, उस समय प्रतिमायें खंडित ज़्यादा होती थीं। आज यह युग है जिसमें मन्दिर बनाने का युग चल रहा है, तो हम उस अर्थ में सौभाग्यशाली हैं। लेकिन कई ऐसी बहुमूल्य प्रतिमायें हैं जिन्हे आज मूर्ति चोरों से हम नहीं बचा पा रहे हैं। मूर्ति भंजको से तो हम बच गए पर मूर्ति चोरों से नहीं बच पा रहे हैं। उन मूर्ति चोरों और तस्करों से बचाने के लिए यदि हम अपने बहुमूल्य निधियों को सुरक्षित रखते हैं, तो इसे मैं कहीं गलत नहीं मानता, उसे सुरक्षित रखना चाहिए। 

ऐसी प्रतिमायें छोटी-छोटी जिसे कोई भी कभी उठा कर ले जाए मैं उसे अच्छा नहीं मानता। ऐसी प्रतिमा ही न रखो जिसमें वह प्रतिमा न दिख करके धन दिखने लगे। भगवान की प्रतिमा ऐसी रखो जिसे देखकर तुम्हारा ध्यान ही धन से हट जाए तब तुम्हारा जीवन धन्य होगा।

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