विद्यालयों में अंडों का सार्वजनिक वितरण एक भयंकर साजिश!

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शंका

आजकल भारत सरकार हो या मध्य प्रदेश सरकार, सब सरकारें अंडे पर बहुत जोर दे रही हैं। मिड डे मील में अंडे को शामिल करने का कई बार प्रयास भी किया गया है लेकिन कई प्रयासों से ये रुक गया है। इसको हमेशा के लिए रोकने के लिए ऐसा हम क्या करें जिससे यह समस्या हमेशा के लिए खत्म हो जाए?

समाधान

कुछ दिन पहले भी यह मुद्दा मेरे पास आया था। महाराष्ट्र के एक भाई ने एक पत्र के माध्यम से मेरे पास यह बात भेजी थी। महाराष्ट्र सरकार के लिए ऐसी योजना बनायी जा रही हैं जिसमें महाराष्ट्र सरकार के द्वारा वहाँ की आंगनबाड़ी में बच्चों को अंडा दिया जाएगा, अनिवार्य रूप से। तमिलनाडु में यह योजना प्रारम्भ हो चुकी है। समाज के सभी अहिंसक शाकाहारी बन्धुओं को मिलजुल करके इसका विरोध करना होगा क्योंकि अंडे की जो लॉबी है वह बहुत संगठित है और संपन्न है। वो सरकारी तन्त्र को येन केन उपायेन प्रभावित करके हमारी संस्कृति को नष्ट करना चाहती है, हिंसा के मार्ग में धकेलना चाहती है और लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करना चाहती है। 

हमें चाहिए कि देश भर में एक व्यापक अभियान चलाया जाए और हर राज्य में, हर प्रदेश से इस बात के लिए जागरूकता उत्पन्न की जाए कि हम ऐसा स्वीकार नहीं करेंगे। आप हमारे भोजन में इस तरह की व्यवस्थाएँ देंगे तो जहाँ शाकाहारी लोग भी पढ़ते हैं, उनकी धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ होगा और यह तो स्वास्थ्य के लिए भी घातक है। यह रिसर्च बताता है कि अंडा से हार्ड अटैक होता है और उसमें रहने वाला सालमोनेला नाम का जो जहर है वह महा भयानक है, जानलेवा भी है, तो फिर ऐसी चीजों को स्वास्थ्यवर्धक निरूपित करते हुए, हमारे नन्हे-मुन्ने बच्चों को खिलाना षड्यंत्र है, साजिश है, इसका भंडाफोड़ होना चाहिए। 

आहार विज्ञान के नाम पर जनचेतना पूरे देश में जगानी चाहिए और सरकार पर इस बात का दबाव डालना चाहिए कि आप हमारी संस्कृति से खिलवाड़ न करें। हम अहिंसक लोगों की धार्मिक भावनाओं की उपेक्षा न करें, हमारी भावनाओं की सुरक्षा रखें और जो बातें आज तक नहीं आई है वो न हो। यह केवल जैन समाज की बात नहीं है, हर अहिंसा पर आस्था रखने वाले की बात है, चाहे वह किसी भी समुदाय का हो, चाहे किसी भी धर्म को मानने वाला हो, चाहे किसी भी समाज का अनुयायी हो। मिलजुल कर के लोग जब आवाज उठाएँगे, तभी इस प्रकार की बुराई से समाज को बचाया जा सकेगा अन्यथा हमारी आने वाली पीढ़ी को भटकने से रोकना नामुमकिन हो जायेगा।

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