पंचमकाल में मोक्ष नहीं, फिर मानतुंग मुनिराज को मोक्ष कैसे?

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शंका

पंचमकाल में, राजा भोज के समय आचार्य मानतुंग स्वामी हुए। उन्होंने भक्तामर पाठ की रचना की, उसमें अन्तिम काव्य में उन्होंने लिखा कि ‘मानतुंग स्वामी मोक्ष रूप-लक्ष्मी प्राप्त करते हैं।’ पंचम काल में तो मोक्ष नहीं होता है।

समाधान

मोक्ष कई तरीके से होता है एक संसार से मोक्ष, एक दुःख से मोक्ष। जो भगवान की स्तुति पाठ करता है उसकी दुःखों से मुक्ति हो जाती है। यानि मन शान्त हो जाता है। तो मुक्ति मिली कि नहीं मिली? मोक्ष कई तरीके का है। दुःख से मुक्ति, आकुलता से मुक्ति, पाप से मुक्ति, और एक संसार से मुक्ति। तो आज संसार से मुक्ति का बीज अन्दर पड़ जाता है। आज नहीं तो अगले भव में उसे मुक्ति भी मिल जायेगी।

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