जैसी भावना वैसा कार्य होता है या जैसा कार्य वैसे हमारे विचार होते हैं?

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शंका

जैसी भावना वैसा कार्य होता है या जैसा कार्य वैसे हमारे विचार होते हैं?

समाधान

यह बहुत पुरानी उक्ति है कि ‘जैसी भावना होती है वैसा काम होता है’, जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि, तो भावना के अनुरूप मनुष्य की वृत्ति बनती है। लेकिन इसमें एक बीच की कड़ी है, जैसी भावना, वैसे विचार और जैसे विचार वैसा व्यवहार और जैसा व्यवहार वैसा चरित्र। जड़ में है भावना! इसलिये अगर हम अपनी भावना को बदलते हैं तो हमारे विचारों में परिवर्तन आयेंगे और विचारों में परिवर्तन आयेंगे, तो हमारे जीवन व्यवहार में भी परिवर्तन ज़रूर आयेगा।

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