नवीन से प्रमाण सागर बनने का सफ़र

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शंका

नवीन के प्यास से कैसे बने प्रमाण सागर और प्रमाण सागर की प्यास से कैसे बन रहा है गुणायतन। महाराज श्री, आप के अंतरंग में यह भाव कैसे जागरण हुए, कृतार्थ करें।

समाधान

यह बात सही है कि किसी नवीन के मन में कभी प्यास जगी तो निश्चित रूप से वह प्यासा कुएं के पास जाता है। तो मेरी प्यास मुझे कुएँ के समीप में ले आई और जिस कुएँ के पास ले आई, उसने मुझे तृप्त किया, और न केवल तृप्त किया, मुझे पानी ही नहीं पिलाया, अपितु मुझे स्वयं सागर बना दिया जो सब को तृप्त करता रहे। 

वह मेरी प्यास थी। लेकिन गुणायतन मेरी प्यास नहीं, मेरा प्रयास है। यह प्रयास केवल इसलिए है कि लोगों की प्यास जगे। और वे भी अपने कल्याण के लिए प्रयास करें। आपके अंदर प्यास जगे, अपनी आत्मा के कल्याण की! वह तभी होगा, प्यास तभी जगेगी जब आप वास्तविक तत्व ज्ञान को प्राप्त करोगे। तो हर व्यक्ति के अंदर आत्म कल्याण की प्रबल पिपासा हो, प्यास जगे। प्रयास तो अपने आप हो जाता है। वह मेरा एक प्रयास था कि आपकी प्यास जगे। अब मुझे लग रहा है कि अभी गुणायतन बना ही नहीं उससे पहले ही लोगों की प्यास इतनी प्रबल हो उठी है, गुणायतन के बनने के बाद आपकी प्यास जगेगी और जब प्यास जगेगी तब प्रयास सार्थक होंगे।

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