जैन गणित- विश्व के लिए वरदान!

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शंका

जैन गणित क्या है? यह व्यावहारिक गणित से कितनी भिन्न है और क्या भविष्य में जैन गणित विश्व के लिए वरदान बन सकती है?

समाधान

यदि देखा जाएँ तो आज जैन गणित व्यावहारिक गणित से कहीं पीछे नहीं है। वर्तमान में महावीराचार्य, जो हमारे जैन गणित में बहुत अग्रणी स्थान रखते थे, उन्हें आधुनिक गणित में भी असंख्यात अंको के आविष्कारक के रूप में और दशमलव प्रणाली के आविष्कारक के रूप में माना गया है। इस पर काफी काम हुआ है। 

आधुनिक गणित के साथ यदि जैन गणित के सम्बन्ध में अगर विचार करें तो प्रोफेसर एल सी जैन ने इस पर काफी काम किया था और उन्होंने तिलोय पण्णत्ती और त्रिलोकसार के गणित पर 2000 पृष्ठों में लिखा। उनकी शोध पर यह टिप्पणी की गई थी कि जैन गणित आज से ढाई हजार साल पहले भी जहाँ था, बहुत एडवांस गणित था। ये 1988 की बात है जब रूस एक महाशक्ति के रूप में प्रतिष्ठापित था, “ये लिखा गया कि वहाँ तक पहुँचने के लिए रूस और अमेरिका जैसे देशों को अभी 100 वर्ष और लगेंगे।” इसी से समझ लो कि जैन गणित कितना व्यवाहरिक, कितना उपयोगी है! अपार खजाना है। अनेक लोगों ने इस दिशा में शोध किया है। आगे भी इस पर पर्याप्त सम्भावनाएँ है।

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