शंका
क्या समवसरण के विहार का और आगे का स्थान निश्चित होता है?
समाधान
तीर्थंकर भगवान का बैठना, रूकना, विहार करना, धर्मोपदेश आदि होना ये सब नियोगतः होता है। तीर्थंकरों का विहार भगवन्तों की इच्छा पूर्वक नहीं होता है और न इन्द्र इसे सुनिश्चित करते हैं। ये एक संयोग है और संयोग के तहत ये सारे कार्य होते रहते हैं।
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