क्या कुंडली में हमारा पूरा जीवन लिखा होता है?

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शंका

क्या कुंडलियों में हमारी पूरी जिंदगी लिखी होती है?

समाधान

कई बार ऐसा होता है जो बात अपने मुँह से नहीं पूछी जाती वो बच्चों से कहलवा दी जाती है। कुंडली एक प्रकार का प्रतीकात्मक आलेखन है। यदि किसी व्यक्ति को ज्ञान है तो वह उसके आधार पर हमारे जीवन की बहुत कुछ व्याख्या कर सकता है। आज के सन्दर्भ में प्राय: लोगों की कुंडली सही नहीं होतीं; वस्तुतः मेरी दृष्टि में आज की जन्मकुंडलियाँ लगभग अप्रासंगिक हैं। क्योंकि व्यक्ति को जहाँ जन्मना चाहिए, वहाँ उसका जन्म होता ही नहीं और जब जन्म होना चाहिए तब जन्म नहीं होता। व्यक्ति है महावीरजी का, delivery (प्रसूति) हो रही है जयपुर में। जयपुर में प्रसूति होगी तो अक्षांश- देशांश जयपुर के हिसाब से बनेगा, उसकी पूरी की पूरी लग्नेश और पूरी कुंडली जयपुर की होगी। 

होना था नॉर्मल डिलीवरी, हो रहा है Caesarean section (शल्‍यक्रिया द्वारा प्रसव)! जन्मपत्री तो लोग जन्म से पहले ही बना देते हैं। जब जन्म ही स्वाभाविक नहीं तो जन्म कुंडली कैसे स्वाभाविक होगी? जितने भी आज के समय में जन्म कुंडलियों व्याख्या करने वाले लोग हैं, दुनिया के बड़े से बड़े एस्ट्रोलॉजर जो हैं वे भी 50-55% से ज़्यादा हमारे भविष्य को सही नहीं बता सकते। 60% से ज़्यादा बताने वाला आज तक मेरी जानकारी के अनुसार नहीं है। इसलिए जन्मपत्री को मानो पर लकीर के फकीर मत बनो। 

मानो आज जयपुर जैसे शहर में एक समय में एक साथ हजारों बच्चों का जन्म होगा तो उस मिनट में जितने भी बच्चों का जन्म होगा सब की जन्मपत्री एक बनेगी क्योंकि अक्षांश देशांश तो एक है, तो क्या सब का भाग्य एक होगा? नहीं हो सकता, यह सब चीजें बहुत समझने की हैं इसलिए मैं तो यही कहूँगा कि जन्म कुंडली मानना है तो मानो पर जितना मान पाओ उतना ही मानो, लकीर के फकीर मत बनो।

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