क्या मंदिर प्रांगण में गृहस्थों का रहना उचित है?

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शंका

क्या मंदिर प्रांगण में गृहस्थों का रहना उचित है?

समाधान

देखिये शिखरबन्ध मंदिर में गृहस्थों का निवास नहीं होना चाहिए क्योंकि वहां अपवित्रता होती है, अशुद्धियाँ होती है। अपवित्रता और अशुद्धि एक प्रकार से भगवान की असाधना है इसलिए मंदिर में मंदिर के रखरखाव के लिए यदि कोई व्यवस्था करना है तो एक अलग से स्थान होना चाहिए जो मंदिर से असंबंध हो। ग्रहस्थ रहेगा तो सब प्रकार की अशुद्धियाँ होती है, रजस्वला स्त्रियाँ भी वहीं आना जाना करती हैं तो यह पाप का कार्य है। उनके लिए अच्छा प्रबंध करना चाहिए और मंदिरों को केवल मंदिर बनाना चाहिए उसे घर का रूप कभी नहीं देना चाहिए क्योंकि जिनेंद्र भगवान की असाधना से महान पाप का बंध होता है।

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