क्या किसी अस्वस्थ व्यक्ति के लिए शांतिधारा करना मिथ्यात्व है?

150 150 admin
शंका

यदि किसी अस्वस्थ व्यक्ति के नाम से शांतिधारा करके उसको गन्धोदक दिया जाए तो क्या इसमें मिथ्यात्त्व का दोष लगेगा?

समाधान

मिथ्यात्त्व का कोई दोष नहीं लगेगा। आज के युग में प्रार्थना का प्रत्यक्ष प्रभाव देखा गया है, इस पर बड़ा प्रयोग हुआ है। आप सबको सुन करके बड़ा अच्छा लगेगा, अमेरिका में १२५ मेडिकल यूनिवर्सिटीज़ हैं, वहाँ इस पर बहुत प्रयोग किया गया और दस-दस रोगियों के तीन ग्रुप पर अलग-अलग प्रयोग किया गया। दस के लिए प्रार्थना की गई, दस के लिए नकारात्मक भावना भाई गई और दस को नॉर्मल ट्रीटमेंट दिया गया। जिनके लिए प्रार्थना की गई उनके स्वास्थ्य के सुधार की दर २०० प्रतिशत बढ़ गई, जिनके लिए नकारात्मक भावना भाई गई उनकी बीमारी और गहरी हो गई और जिनको नॉर्मल ट्रीटमेंट दिया गया उनकी  सही होने की ग्रोथ नॉर्मल रही है। तो लम्बे प्रयोग के बाद वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि प्रार्थना का मनुष्य के सेहत पर प्रभाव पड़ता है। उसमें सबसे चौंकाने वाला तथ्य ये था कि जिन लोगों के लिए प्रार्थना की जा रही थी उनको ये पता नहीं था कि मेरे लिए कोई प्रार्थना कर रहा है। और जो लोग प्रार्थना कर रहे थे उन्हें ये पता नहीं था कि हम किन चेहरों के लिए प्रार्थना कर रहे हैं। लेकिन १५ वर्ष के प्रयोगों के बाद ये निष्पत्ति हुई और उसका नतीजा ये है कि अमेरिका के १२५ मेडिकल यूनिवर्सिटीज़ में ८५ के पाठ्यक्रम में प्रार्थना को जोड़ दिया गया है। अब डॉक्टर अपने प्रिस्क्रिप्शन में भी प्रार्थना लिखने लगे हैं।

जैसे आप इलाज कराते हैं, दवाई खाते हैं इसी तरह पूजा-पाठ, मन्त्र जाप आदि का प्रयोग करें, तो उससे पॉजिटिव एनर्जी का प्रवाह दर बढ़ती है और ये बढ़ी हुई पॉजिटिव एनर्जी आगे आपके स्वास्थ्य के सुधार में निमित्त बन सकती है। हालाँकि ये बाह्य निमित्त है, भीतरी निमित्त हमारा कर्म है। लेकिन कर्म के सुधार में सहायक होती है इसलिए उनके नाम से, उनके स्वास्थ्य की कामना से शांतिधारा आदि करने में कोई बुराई नहीं है। बल्कि मैं कहता हूँ जरूर करना चाहिए क्योंकि आपके हाथ में दवा और दुआ ही हैं।

Share

Leave a Reply