शंका
क्या दसलक्षण पर्व के दिनों में या अन्य दिनों में जिनालय में, जहाँ भगवान विराजमान हों, वहाँ उनके सामने प्रवचन करना उचित है? क्या उनका अविनय नहीं है?
समाधान
भगवान के सामने प्रवचन करना तो और भगवान की विनय करना है। भगवान के सामने हम प्रवचन कर रहे हैं तो किसकी बात कर रहे हैं? भगवान की बात कर रहे हैं। जो बात भगवान के मुख से इस युग में नहीं निकल सकती भगवान को साक्षी मानकर के यदि किसी योग्य व्यक्ति के मुख से निकलती है, तो उसमें कोई दोष नहीं है। बल्कि भगवान की आज्ञा है कि धर्म उपदेश करो धर्म की प्रभावना का यह आधार है इसमें कोई दोष नहीं है।
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