गीजर, हीटर आदि का प्रयोग मन्दिर में होने लगा है। क्या इसमें हिंसा नहीं होती है?
महान हिंसा होती है। मन्दिर में तो इनका प्रयोग होना ही नहीं चाहिए।
गीजर के पानी से स्नान करके अगर आप भगवान का अभिषेक करते हैं तो आप शुद्ध नहीं अशुद्ध हैं। कीड़ों की उबाल से नहाकर के आप भगवान का अभिषेक करते हैं। थोड़ा जाकर अपने मन्दिर के ओवरहेड टैंक में झाँक कर देखिए कि वहाँ पानी में क्या होता है, जीव बिलबिलाते दिखते हैं या नहीं? गीजर में सप्लाई लाइन से आ रहे हैं, उबल रहे हैं, आप उसी से स्नान कर रहे हैं और जियो और जीने दो के गीत गा रहे हैं। यह महा प्रमाद है। अगर आपको गरम पानी की आवश्यकता है, तो उसका और दूसरा उपाय करना चाहिए। यह प्रमाद कि हम जहाँ हों वही हमें सब कुछ मिल जाए यह कतई उचित नहीं। मैं तो कहता हूँ मन्दिर क्या घर में भी ऐसे हिंसा के उपकरणों का उपयोग नहीं करना चाहिए।
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