काऊयार्ड थेरेपी (cowyard therapy) क्या उपयोगी है?

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शंका

भारतीय संस्कृति में गाय को इतना महत्त्व क्यों दिया जाता था कि लोग बहुत गाय पालते थे? आजकल cow yard therapy सुनने में आ रही है जिसमें गायों से अपना स्वास्थ्य ठीक किया जाता है।  क्या यह वास्तव में उपयोगी है?

समाधान

भारत में गाय की बड़ी महिमा बताई गई, जैन परम्परा में भी गाय की बड़ी महिमा है। आचार्य वीरसेन महाराज ने गाय के सन्दर्भ में धवला में लिखा “या श्री सा गौ”, जो भी श्री या समृद्धि है वह गाय है। गाय समृद्धि का प्रतीक है। मैंने इसके विषय में कई बार बोला कि इससे पॉजिटिव एनर्जी निकलती है। कई प्रयोग भी किए गये। मुझे डॉक्टर सुहास ने इसकी जानकारी दी थी, पुणे में सन्त तुकाराम गौशाला है, पूना शहर में कोई भी लावारिस पागल सड़क पर घूमता रहता है, उस गौशाला के जो संचालक हैं उसको उस गौशाला में ले जाते हैं, उसको वे गायों के बीच रखते हैं, छह महीना में वह आदमी ठीक हो जाता था। यह चीजें बहुत वर्षों से हमारे ज्ञान में थी और हमने गाय को लेकर के कई प्रयोग भी कराया। जिस घर में बछड़े सहित देसी गाय रखी गई वहाँ से नेगेटिव एनर्जी दूर हुई। लोगों के कारोबारों में जहाँ बाधायें आई, उसका निवारण हुआ। 

मैंने एक बार आदि पुराण पढ़ते समय एक प्रसंग पढ़ा कि जब भरत चक्रवर्ती को १६ अशुभ सपने आए और भगवान से उसका फल सुनने के बाद उनका मन उद्विग्न हो उठा तो उस की शांति के लिए उन्होने कुछ अनुष्ठान किये- अभिषेक किया, शांतिधारा की, पात्र दान किया और एक काम किया कि १,००,००० गायों के थन से धरती पर सीधे दूध दुह कर सीधे शांति कर्म किया। एक तांत्रिक क्रिया है, गाय के दूध को बछड़े को पिलाने के बाद सीधे जमीन में डालना, धरती पर डालना, इससे पॉजिटिव एनर्जी आती है, ऐसा संहिता ग्रंथों में भी आता है। उसको पढ़ने के बाद मैंने कई लोगों से प्रयोग कराया, इसके बड़े अच्छे परिणाम आये। यह सब चीजें तो मेरे ज्ञान में थीं ही लेकिन जैसे आज आपने बोला काऊ यार्ड थेरेपी- आज मेरे पास कोलकाता से भागचंद जी पहाड़िया ने एक मैसेज भिजवाया। यूरोप के नार्वे, इंग्लैंड, ब्रिटेन जैसे अनेक देशों में काउयार्ड थेरेपी चालू हुई है। उस काउयार्ड थेरेपी में जो व्यक्ति डिप्रेशन और अवसाद जैसी बीमारी या तनाव से ग्रसित हैं, जो आत्महत्या करने की मानसिकता में है, उनको २४ दिनों तक गायों के साथ रखते हैं, गौशाला में रखते हैं, यह वहाँ हो रहा है, भारत की बात नहीं कह रहा हूँ, वहाँ उनको रख रहे हैं और रखने के बाद यह पा रहें है कि सामने वाले की मानसिकता में आमूलचूल परिवर्तन आ रहे हैं। उसमें गायों के साथ रहना, गायों के साथ सोना और दिन में दो चार बार गायों से गले लगना, उस पर इतना पॉजिटिव इंपैक्ट आता है कि उसके बारे में मत पूछिए। 

बड़े अच्छे परिणाम उसके माध्यम से निकल रहे हैं और यह बहुत चौंकाने वाली बातें हैं तो हमें समझना है। उसमें बताया कि वैज्ञानिकों ने यह पाया कि गाय के शरीर में ऐसी शक्ति होती है जो हमारे अन्दर की नकारात्मकता को खींच ले। यह है ही इसलिए भारत में पुराने जमाने में गोपालन होता था। आज एन सी जैन ने बताया कि हमारी गौशाला में 350 गाय हैं, दिल्ली में गौशाला चलाते हैं, वहाँ मर्सिडीज से अच्छे-अच्छे लोग जाते हैं और गाय के जीभ से, गाय को लड्डू वगैरह खिला करके अपने हाथों को चटवाते हैं और उनको बहुत आराम मिलता है। वस्तुतः देखा जाए तो गाय बहुत अच्छी एक प्रकार की हीलिंग देती है और उसका लाभ लेना चाहिए। 

गाय वात्सल्य का प्रतीक है, गाय पालो, कुत्ते को मत पालो, कुत्ता क्रूरता का प्रतीक है। आज लोग गाय को छोड़ रहे हैं, कुत्तों से प्यार कर रहे हैं। सब कुत्तों जैसी जिंदगी बना रहे हैं।

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