भक्तामर स्तोत्र आदि कौन सी भाषा में पढ़ने चाहिए?

150 150 admin
शंका

भक्तामर स्तोत्र आदि कौन सी भाषा में पढ़ने चाहिए?

समाधान

एक बार एक बच्चे ने हमसे पूछा ‘महाराज जी! प्राय: सारी पूजा, सारे मन्त्र और स्तोत्र संस्कृत में हैं। क्या भगवान् को हिंदी नहीं आती? संस्कृत में बोलेंगे तभी फल मिलेगा या हिंदी में भी बोल सकते हैं?’ हम बोले-“ध्यान रखो! भगवान के लिए तो तुम कुछ न भी बोलो तो भी तुम्हारे दिल की सारी बात समझ जाएँगे। 

हम स्तोत्र भगवान को सुनाने के लिए नहीं पढ़ते, अपने मन को सुधारने के लिए पढ़ते हैं, अपने जीवन को सुधारने के लिए पढ़ते हैं। तो भाव लगाने के लिए आप हिंदी संस्करण में अगर पढ़ते हैं तो कोई दोष नहीं, लेकिन ध्यान रखें “भक्तामर स्तोत्र, कल्याण मन्दिर स्तोत्र, आदि स्तोत्र नहीं, एक मन्त्र जैसे हो गए हैं और इनका phonetic effect (ध्वन्यात्मक प्रभाव) बहुत होता है। आप अगर हिंदी में पढ़ेंगे तो उससे उस प्रकार की ध्वनि का स्पंदन नहीं होगा और यदि आप मूल संस्कृत में पढ़ते हैं तो उस तरह की ध्वनि का उत्पादन होता है जिससे अलग प्रकार की तरंग और ऊर्जा का संचार होता है। इसलिए जंहा तक सम्भव हो, आप मूल को पढ़ें। उसे अच्छे से सीखें उच्चारण करें, अर्थ भी सीख लें, अच्छा होगा। लेकिन ऐसा मत समझना कि जिनको मूल नहीं आता वह जीवन में कुछ नहीं पा पाता, क्रिया महत्त्वपूर्ण नहीं, भाव महत्त्वपूर्ण है।

Share

Leave a Reply