अष्टमी और चौदस का महत्त्व!
अष्टमी को अष्ट कर्म के नाश का प्रतीक माना जाता है और चतुर्दशी को चौदह गुणस्थानों से पार उतरने का माध्यम भी माना जाता है।
इसमें एक विशेष बात जो मैंने बहुत पहले एक शोध लेख में पढ़ा था। जैसे इस धरती पर दो तिहाई जल भाग और एक तिहाई स्थल भाग है वैसे ही हमारे शरीर के भीतर भी दो-तिहाई ठोस तत्व और एक-तिहाई जल तत्व है। आप मेडिकल से जुड़े इस बात को अच्छी तरीके से समझते होंगे। उन्होंने इस लेख मे लिखा कि जिस प्रकार चंद्रमा की कलाओं से समुद्र का जल स्तर घटता बढ़ता है वैसे ही चंद्रमा की कलाओं से हमारा मन प्रभावित होता और हमारे शरीर के अंदर रहने वाले जल तत्व में हीन अधिकता होती है। उसमें एक डायग्राम बनाया हुवा था – अष्टमी, चतुर्दशी, पंचमी, एकादश और प्रन्दहस। इन तिथीओंमे हमारे शरीर के जल तत्व की उफान की बात बताएं। और कहा कि यह अमेरिका में शोध हुवा व अमेरिका में सर्दी के शिकार लोग बहुत ज्यादा है। तो जो सर्दी से ग्रसित लोग हैं उनसे बचने के लिए कहा गया कि इन दिनों में यदि आप उपवास रखें तो आप सर्दी पर विजय प्राप्त कर सकते है। माने इन दिनों आपके शरीर में जल तत्व एक्स्ट्रा है। तो मैंने इसका सार निकाला कि इसका मतलब इन तिथियों में अगर आप उपवास करते हैं तो आप की गर्मी कम बढ़ेगी पानी की कमी कम होगी। हमारे आचार्योंने एक ऐसी व्यवस्था की कि हम साधना अपनी करें तो किन तिथियों में करें? तो ऐसी स्थितिओं में करो जिससे साधना भी हो जाए और शरीर पर उसका दुष्प्रभाव भी ना पड़े।
Namostu maharaj ji,dal ,dahi va chatani ko alag alag khana ko yogay mana ha but Inhi 3 cheesa sa dahi bada bana ka khata ha to diwdal va Ayogay,jabki pet ma to alag alag khao to bhi pet ma jaka vo mil jata ha,pl🙏🏻Explain kara va diwdal ka bara ma samjayaa🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻